समय तथा नियति कभी कभी क्यों इतने कठोर दिल हो जाते हैं, आज अपने माता पिता के चिता के पास खडी चीखकर रो रही लीजा ने मौजूद लोगों से यह सवाल कर रही थी | कौन भला देगा इस सवाल का जवाब, क्योंकि यहाँ सभी है चुप और निर्वाक् | भोगराई ब्लाक आरुहावृति | पंचायत मनुनगर गाँव के यूवक भजहरि पात्र | गरीबी की मार सह न पाकर भजहरि की पत्नी अमिता (25) और इकलौती बेटी लीजा को लेकर दादन मज़दूरी करने गए थे हैद्राबाद, वहा पर कुछ दिन भाग की परिक्षा के बाद विफल होकर साथ में यह बीमारी कैंसर लेकर 2016 में वापस गाँव आ गए थे | और कुछ दिन बाद मारे गए थे |
आज फिर उसी बीमारी से चल बसी माँ अमिता | उनकी बस एक आखरी अमानत एक बीघा घर वह भी अमिता के इलाज में बिक गया, और अब नाबालिग लीजा हो गई बेसहारा | छठी कक्षा में पढ रही मेधावी छात्रा लीजा ( लीजा प्रियदर्शिनी) फिलहाल अपने नाना गंभीर रूप से पीड़ित वृद्ध गौरांग गिरि के यहाँ पनाह ली हुई है | अमिता की मौत की खबर सुनकर भोगराई विधायक अनंत दास, प्रमेय संस्करण मुख्य सत्यशिव दास, भोगराई पंचायत समिति अध्यक्षा मंजुराणि बेहेरा,पूर्व जिला परिषद सदस्य हेमंत बेहेरा, पंचायत बीजू जनता दल सभापति राजकिशोर जेना, 30 नंबर जोन कांग्रेस सभापति राजेंद्र कुमार पंडा काफी शोक व्यक्त करने के साथ भारतीय जीवन बीमा प्रतिनिधि हेमंत भाया, वार्ड सभ्य बरेंद्र जेना, पूर्णचंद्र गिरि, दुर्गा शंकर दे, रामकृष्ण गिरि, अमरेश परिडा, जितेंद्र सामल प्रमुख आखरी दर्शन करने के साथ अनाथ बेटी लीजा को सहायता का हाथ बढाने को इलाके के बदान्य व्यक्तियों से प्रार्थना किया गया है |