भरतपुर 20 सितंबर
गम्भीर नदी के पानी में भरतपुर जिले का हिस्सा तय करने और पांचना बांध से बाणगंगा नदी को जोड़ने के सम्बन्ध में पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने प्रदेश के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत को लिखा पत्र
भरतपुर.गम्भीर नदी के पानी में भरतपुर जिले का हिस्सा तय करने और पांचना बांध से बाणगंगा नदी को जोड़ने के सम्बन्ध में पूर्व सांसद पंडित रामकिशन के नेतृत्व में समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता और भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री गिरधारी तिवारी ने संयुक्त रूप से राज्य के जलसंसाधन मंत्री सुरेश रावत को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि गम्भीर नदी में आने वाली बाढ़ की रोकथाम के लिए करौली के पास पांचना बांध का निर्माण कराया गया।उस समय इसकी भराव क्षमता 685 एमसीएफटी तय की गई। लेकिन बाद में इसकी ऊंचाई बढा दी गई और भराव क्षमता 2100 एमसीएफटी कर दिया गया। जिसकी वजह से इस नदी में आने वाला पानी बंद हो गया। पानी की आवक बंद होने के कारण इस नदी के आसपास के गांवों का भू-जल स्तर नीचे चला गया। वही दूसरी ओर इस नदी के माध्यम से केवलादेव नेशनल पार्क को मिलने वाला पानी भी बंद हो गया। एक बार ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि यूनेस्को ने इस पार्क को डेन्जर लिस्ट में डालने का फैसला कर लिया, लेकिन किसी तरह चम्बल पेयजल योजना व गोवर्धन कैनाल से पानी लाकर विश्व धरोहर को बचा लिया। पांचना बांध से आने वाले पानी में बहुतायत में मछली व अन्य जल जीव आते है। जो पक्षियों के भोजन के रूप में काम आते है। पत्र में कहा है कि जब पांचना बांध में इस वर्ष क्षमता से अधिक पानी आया तो बिना सूचना दिए गंभीर नदी में पानी छोड दिया, जिससे नदी के आसपास के गांवों में बाढ़ जैसी हालत हो गई और खरीफ की फसल खराब होने के कारण किसानों का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ तथा जन व धन की हानि हुई। इसी प्रकार प्रतिवर्ष इस नदी में पांचना बांध से पानी छोडा जाए तो किसानों को काफी लाभ मिलेगा और क्षेत्र में कृषि उत्पादन बढ कर कई गुना हो जाएगा। इसके लिए जरूरी है कि गंभीर नदी के पानी में भरतपुर का हिस्सा तय किया जाए। जिससे नदी में नियमित रूप से पानी आ सके। इसी प्रकार बाणगंगा नदी में जगह-जगह बने एनीकटों के कारण इस नदी में वर्षो से पानी नही आ रहा है। ऐसी स्थिति में पांचना बांध के पानी को गंभीर नदी के रास्ते ऊलूपुरा और कमालपुरा के पास डाला जाए, जिससे सूखी पडी ये नदी पुर्नजीवित हो सके। बाणगंगा नदी में पानी आने से इस नदी के 40-50 किमी क्षेत्र में भू-जल स्तर बढ़ जाएगा और किसानों को सिंचाई व पेयजल के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो जाऐगा।।
भरतपुर से हेमंत दुबे