जहांगीरपुरी हिंसा का मुख्य अभियुक्त मोहम्मद अंसार आख़िर है कौन? #r9bharatExclusiveReport

दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े की पहचान भी यही तंग गलियां हैं. आम दिनों में इन गलियों की रौनक अलग हुआ करती थी. लेकिन शनिवार शाम के बाद से यहाँ का माहौल बिल्कुल अलग है.

जहांगीरपुरी इलाके की हर गली के बाहर पुलिस का पहरा है. ख़ास तौर पर ब्लॉक बी और सी इलाके में, जहाँ बीते शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा हुई.

वैसे तो इस इलाके में मंगलवार को कुछ हद तक ज़िंदगी पटरी पर लौटने लगी थी.

घरों से बच्चे अब स्कूलों की तरफ़ जा रहे थे. लेकिन बाज़ारों की रौनक हर तरफ़ गायब थी. दुकाने बंद हैं और कबाड़ का कारोबार, जिसके लिए इलाका जाना जाता है, उसका काम ना के बराबर चल रहा था.

दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक़, मोहम्मद अंसार की उम्र 35 साल है. पिता का नाम अलाउद्दीन है. वो चौथी क्लास तक पढ़ा है और जहांगीरपुरी बी ब्लॉक में रहता है. शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा के समय दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई उस समय वो मौके पर मौजूद था.

ग़ौरतलब है कि हिंसा की वारदात उस वक़्त हुई जब शोभा यात्रा सी ब्लाक से जी ब्लॉक की तरफ़ जा रही थी, जबकि अंसार बी ब्लॉक का रहने वाला है.
जहांगीरपुरी बी ब्लॉक में मोहम्मद अंसार का चार मंजिला मकान है. सबसे नीचे के फ़्लोर पर वो परिवार के साथ रहता है, ऊपर के बाकी तीन फ़्लोर पर किराएदार रहते हैं. मंगलवार को उसके घर पर ताला लगा था. पूछने पर मालूम चला कि पत्नी थाने गई है. बच्चे अपने रिश्तेदार के घर हैं. अंसार की तीन बेटियां और दो बेटे हैं. पूरा परिवार कुछ साल पहले ही बी-ब्लॉक में रहने आया.

इससे पहले जहांगीरपुरी के सी-ब्लॉक में ही वो रहते थे. ये तमाम जानकारी अंसार के पड़ोसियों से मिली.

अंसार के मकान के दोनों तरफ़ हिंदू परिवार रहते हैं. उन घरों के बाहर लक्ष्मी गणेश और हनुमान की फोटो, इस बात की गवाही देते है.
अंसार के बारे में पूछने पर गली के कुछ लोगों ने अपने दरवाज़े बंद कर लिए तो कुछ ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया.

शेख़ बबलू जहांगीरपुरी में 45 साल से रहते हैं. शनिवार की घटना के वो चश्मदीद भी हैं- ऐसा वो दावा करते हैं. मोहम्मद अंसार को भी वो जन्म से जानते हैं और सी ब्लॉक में उनके पड़ोसी होने का दावा करते हैं.

R9. भारत से बातचीत में शेख़ बबलू कहते हैं, “बच्चों की परवरिश ठीक से हो इस वजह से सी-ब्लॉक का मोहल्ला उन्होंने छोड़ा. पढ़ाई लिखाई ज़्यादा नहीं की है. वो कबाड़ का बिजनेस करते हैं. रोज़ लगने वाले फुटपाथ बाज़ार में उनकी मोबाइल की दुकान भी चलती है. सी-ब्लॉक फुटपाथ बाज़ार के वो प्रेसिडेंट भी हैं.”
पुलिस की गिरफ़्त में आने के बाद, सोशल मीडिया पर मोहम्मद अंसार का एक वीडियो काफ़ी वायरल है, जिसमें उन्हें कहते सुना जा सकता है कि ‘हाँ, मैं गुनेहगार हूं’

उनके इस वीडियो की चर्चा भी खूब हो रही है. इस वीडियो पर सवाल पूछते ही, शेख असगर बोल पड़ते हैं. ‘ये वीडियो हमने भी देखा है. पुलिस के हाथ 100 से ज़्यादा वीडियो लगे हैं. एक भी वीडियो दिखा दो जिसमें अंसार दंगा कर रहा हो.’

इलाके में रहने वाले मुसलमानों का दावा है कि मोहम्मद अंसार ने हिंसा को रोकने की कोशिश की थी ना की भड़काने की. वो सबकी मदद के लिए आगे आते थे – हिंदू हो या फिर मुस्लिम.

लोगों ने दावा किया कि कोरोना काल में अंसार ने लोगों को खाने के पैकेट बांटे, कोरोना वायरस से मरे उन हिंदुओं की अर्थी को कंधा भी दिया, जिसे घर वालों तक ने छोड़ दिया था. कोई उन्हें इलाके का ‘रॉबिनहुड’ कहता है तो कोई ‘राजा बाबू’ फिल्म का गोविंदा, जो मौके के हिसाब से पुलिस भी है, नेता भी है और वकील भी है.

कुछ ने अर्थी को कंधा देते हुए उनके वीडियो भी चैनल के साथ शेयर किए, कुछ लोगों ने हनुमान जयंती वाले दिन की सुबह की वीडियो भी हमें भेजी, जिसमें वो एक बच्चे को तलवार नहीं लेने के बारे में समझाते हुए दिख रहे हैं. चैनल इन वीडियोज़ की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.

बी-ब्लॉक में ही उनके पड़ोस में ललित भी रहते हैं. चैनल से बातचीत में वो कहते हैं, “गली मोहल्ले के हिसाब से तो वो अच्छे इंसान हैं. हर घर के सुख-दुख में वो बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे.”
लेकिन जैसे ही ललित से अंसार पर पुलिस द्वारा लगाए आरोपों पर सवाल पूछा, ललित ये बोल कर घर के अंदर चले गए कि ‘ क्या कहा जाए अंदर और बाहर की शक्ल में बहुत चीज़ों में फ़र्क आ जाता है.”

बी-ब्लॉक में मोहम्मद अंसार के पड़ोस में रोज़ी भी रहती हैं. R9. Bharat बातचीत में वो मोहम्मद अंसार के बारे में कहती है कि वो काफ़ी मददग़ार इंसान हैं. हर तरह से लोगों की मदद करते हैं.
बातचीत में दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर दीपेन्द्र पाठक कहते हैं, ” जहांगीरपुरी हिंसा की जाँच अभी बहुत ही शुरुआती दौर में है. मोहम्मद अंसार को पूरी घटना का ‘मास्टरमाइंड’ कहना ठीक नहीं रहेगा. हां, वो पूरे मामले में इनिशिएटर ( घटना को शुरू करने वाला) रहा है. दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में वो नामज़द अभियुक्त है. सबसे पहले उसी का नाम आया था. सबसे पहले उसने चार-पाँच लोगों को वहाँ ला कर धक्का मुक्की की थी. उसी से हालात ख़राब हुए थे. बाक़ी डिटेल जाँच का विषय है. अभी जाँच शुरुआती दौर में है.”

मीडिया में मोहम्मद अंसार के नाम की एक फाइल भी घूम रही है, जिसमें उनके पुराने अपराधों का लेखा-जोखा है.

उस फाइल को सही ठहराते हुए उससे जुड़े सवाल पर दीपेन्द्र पाठक ने कहा, “हां, मोहम्मद अंसार पर पहले सात एफ़आईआर हैं, जिसमें से एक जुआ खेलने, एक सरकारी कर्मचारियों पर हमले से और एक एफ़आईआर लोगों को नुक़सान पहुँचाने से जुड़ी है. दिल्ली पुलिस रिकॉर्ड्स में वो हिस्ट्रीशीटर है. इलाके का बैड कैरेक्टर है और स्थानीय पुलिस की निगरानी में हमेशा रहा है. उन पर चल रहे सातों केस, अभी ट्रायल की स्टेज पर हैं और वो बेल पर हैं.”

ये पूछे जाने पर कि मोहम्मद अंसार के ख़िलाफ़ हिंसा में शामिल होने के पुलिस को क्या कोई वीडियो सबूत मिले हैं? इस पर उन्होंने कहा, “बहुत सबूत हैं. बिना सबूतों के गिरफ़्तारी संभव नहीं है.”

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि इलाके के जामा मस्ज़िद के इमाम ने मोहम्मद अंसार को फ़ोन कर मौक़े पर बुलाया. हालांकि जहांगीरपुरी सी ब्लॉक जामा मस्ज़िद के सेक्रेटरी सलाउद्दीन से R9.Bharat ने इन दावों के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मस़्जिद के इमाम या उनके पास मोहम्मद अंसार का मोबाइल नंबर भी नहीं है. घटना के वक़्त मोहम्मद अंसार मस्ज़िद में था भी नहीं.

स्पेशल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर ने ‘अंसार को फ़ोन कर मस्ज़िद बुलाए जाने के’ दावे को ख़ारिज़ करते हुए कहा, “ऐसा कुछ भी कहना अभी जल्दबाज़ी होगी. अब पूरे मामले की जाँच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है.”

मोहम्मद अंसार को एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया था. अब रिमांड तीन दिन के लिए आगे बढ़ गई है.

दीपेन्द्र पाठक, मोहम्मद अंसार के लिए मास्टरमाइंड की जगह – ‘इंस्टिगेटर और इनिशिएटर’ जैसे अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहते हैं कि उसके साथ कई और भी लोग इसमें शामिल थे.

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