परोपकार की भावना ही जीवन को बनाती है महान

जरा हटके

इटावा से भवानी शंकर राठौर की रिपोर्ट

परोपकार की भावना ही जीवन को बनाती है महान
: परोपकार का अर्थ है औरों का उपकार। यह कर दिखाया इटावा के समाजसेवी नव युवकों ने

परोपकार का अर्थ है औरों का उपकार। यदि हम अपने चारों दृष्टि डालें तो प्रकृति में प्रत्येक तत्व परोपकार करता दृष्टिगोचार होता है। कहा भी गया है तरुवर फल नहीं खात है, नदी न संचै नीरपरमारथ के करने, साधु न धरा शरीर।। यानि वृक्ष कभी अपना फल नहीं खाते, नदियां मनुष्य, पशु पक्षी, एवं पेड़ पौधों को जीवन देने के लिए निरंतर बहती रहती है। सूर्य प्रत्येक दिवस ऊर्जा प्रदान करने के लिए उदित होता है। हवा, प्राण, वायु बनकर सभी को नवजीवन प्रदान करती है। रात में चन्द्रमा शीतलता प्रदान करता है अर्थात केवल अपना सोचना व अपने परिवार के बारे में विचार करना एक संकुचित सोच है। जिसकों व्यापक करने की नितांत आवश्यकता है

इसके बारे में आपको बताते हैं
यह कर दिखाया इटावा के नौजवान समाजसेवियों ने जिसमें
गणेशगंज मुंगेना कोटा हाईवे पर शाम के समय आंधी तूफ़ान से पेड़ टूटकर नीचे गिर गया था सभी लोग उसको देख कर निकल जाते थे लेकिन कोई भी उस रुक कर उसको हटाने का प्रयास नहीं करते थे तभी उसी समय कॉमेंटेटर प्रवीण मीणा और परमानंद मीणा साथ में तिसाया लगन में जा रहे थे पर सबसे पहले सड़क दुर्घटना से किसी की जान जोखिम में ना जाए यह कार्य दो व्यक्ति से संभव नहीं था अतः सबसे पहले सरपंच गणेशगंज हेमंत बेरवा को कॉल किया ताकि थोड़े और व्यक्तियों को इकट्ठा किया जा सके और तुरन्त 5 मिनट में आते ही सबने मिलकर इस बड़े पेड़ को हटाया
यदि इस पेड़ को नहीं हटाते तो किसी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती थी

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