जुगैल थाना क्षेत्र में हो रहे अवैध बालू खनन पर जिला प्रशासन मौन।
प्रतिबंधित मशीनों द्वारा नदी बीच हो रहा बालू लोडिंग जिम्मेदार मौन क्यों।
सोनभद्र – जीवनदायनी नदिया सोन,बिजुल, रेणु, जिसके नाम प्राचीन इतिहास बया करते है उसी नाम से सोनभद्र भी जाना जाता है उसका अस्तित्व ख़तरे में।
चोपन/सोनभद्र – थाना जुगैल अंतर्गत ग्रामसभा अघोरी, गोठानी , माहलपुर, खेवधा,में बेखौफ चल रहा है वैध के नाम पर अवैध बालू खनन कैमूर ,सेंचुरी एरिया में नदी की धारा बीच व धारा को मोड़ कर जेसीबी,दर्जनों पोकलैंन व दर्जनों बड़ी बड़ी नाव से हो रहा अवैध खनन। जिला प्रशासन कि ख़ामोशी यह व्यक्त कर रही है कि सारे नियम कानून ताख पर रख सोनभद्र का संगम कहे जाने वाला जिले को एक अलग पहचान दिलाने वाली सोन, बिजूल,रेणु, नदी को खनन माफिया अपने चंद लाभ के लिए नदियों का अस्तित्व समाप्त करने पर लगे हैं ।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार नियंत्रण, अपराध नियंत्रण, अवैध खनन नियंत्रण, नशा नियंत्रण की कितने भी दावे कर लें लेकिन बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का सीमावर्ती जिला सोनभद्र जो सोनांचल के नाम से प्रसिद्ध है सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के सोन नदी को दबंग बालू माफिया अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए दिन-रात पोकलेन और बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनों नाव द्वारा से अवैध बालू खनन कर नदी को छलनी किए जा रहे हैं, सोन नदी के सेंचुरी एरिया में धड़ल्ले से किया जा रहा है बालू माफिया नदी के बीच क्षेत्र में घुसकर अवैध लोडिंग किया जा रहा है बालू माफिया पूर्ण रूप से सक्रिय होकर एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर दिन-रात बेकौफ होकर बालू निकालें जा रहें हैं । सीमा से बढ़कर नदी के बीच धारा से आगे बढ़कर नदी के बीच सीमा में रास्ता बना कर अवैध बालू खनन किया जा रहा है तथा अवैध बालू खनन का पूरा काम प्रशासन के नजरों के सामने हो रहा हैं, जिससे यह विदित होता हैं कि खनन विभाग, स्थानीय पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग का बालू माफियाओं से अच्छी सॉठ-गॉठ हैं। पूर्व में कई बार स्थानीय ग्रामीण द्वारा सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन जिला प्रशासन को दिया गया था।
गांव वासियों के अनुसार सीमा से बाहर जा कर अवैध बालू खनन किया जा रहा है।
समाचार पत्रों में खबर लगने पर प्रशासन अपनी नाक बचाने के लिए दिखावे के तौर पर 1-2 पोकलैन मशीन और 1-2 हाईवा,पड़कर खानापूर्ति कर देती हैं, जब विभाग द्वारा अवैध साइडों पर छापेमार कार्यवाही की जाती है तो विभाग के अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही अवैध बालू उत्खनन में लगी हुई बड़ी-बड़ी पोकलेन ,जेसीबी मशीनें और सैकड़ों हाईवा, ट्रक, डंपर, टीपर वहां से गायब कर दिए जाते हैं।
नदी की धारा प्रवाह को अवरूद्ध कर अघोरी व जुगैल के जंगलों से वन विभाग कार्यालय से मात्र तीन चार किलोमीटर की दूरी पर बालू माफिया ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध बोल्डर तोड़ कर नदियों को बाध रहे है।
नदी की जलधारा को अवरुद्ध कर पोकलेन जेसीबी नाव द्वारा 40 से 50 फीट गहराई तक बालू खनन का कार्य कर रहे हैं जिससे आए दिन पानी पीने के लिए आने वाले पालतू जानवर कि पोकलैंड द्वारा किए भारी भरकम गड्डे में गिर कर जानवरो की मौत तक हो जाती है ।
जिला प्रशासन अपना अपना नाक बचाने के लिए कभी कभार खनन माफिया पर छोटा मोटा जुर्माना लगा कर खाना पूर्ति कर देती है
अब देखना यह कि भरष्टाचार अपराध मुक्त प्रदेश का दावा करने वाली बुल्डोजर वाले बाबा कि सरकार इन खनन माफियाओं पर कब नियंत्रण लगती है