Report by – विनोद चड्ढा बिलासपुर कुठेड़ा
घुमारवीं निरंकारी ब्रांच द्वारा सिर खड्ड में चलाया स्वच्छ जल स्वच्छ मन के तहत सफाई अभियान
संत निरंकारी मिशन की ओर से आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के सानिध्य में 26 फरवरी को अमृत परियोजना के अंतर्गत स्वच्छ जल स्वच्छ मन के तहत सिर खड्ड ओर मेला ग्राउंड वह मुक्ति धाम घुमारवीं के प्रांगण में सफाई अभियान चलाया गया।
आपको बता दे कि जहाँ मुक्ति धाम में महिलाओं का जाना माना है आज निरंकारी मिशन की बहनों ओर भाइयो ने उस मुक्ति धाम की साफ सफाई कर
एक सहरानीय कार्य किया।
घुमारवीं ब्रांच हमीरपुर ज़ोन के जोनल इंचार्ज गोबर्धन शर्मा ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण तथा इसके बचाव के लिए अपनाई जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाना एवं उन्हें क्रियान्वित रूप देना है। इस परियोजना का मुख्य बिंदू जल निकायों की स्वच्छता एवं स्थानीय जनता के बीच जागरुकता अभियान के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहित करना है। इस दौरान उन्होंने कहा कि कूड़ा ऐसे नालियां या सड़क के किनारे न फेंके एसकोंसिर्फ कूड़ा दान में ही डाले ताकि स्वछ बाताबरण बना रहा उन्होंने खाकी कि स्वच्छ जल स्वच्छ मन प्रोजेक्ट अमृत के तहत निरंकारी सेवादल व साध संगत घुमारवीं द्वारा सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक मेला ग्राउंड ओर सिर खड्ड वह मुक्ति धाम प्रांगण में सफाई अभियान चलाया गया।। संत निरंकारी मिशन के सचिव जोगिंद्र सुखीजा ने बताया कि यह परियोजना संपूर्ण भारतवर्ष के लगभग 1100 स्थानों के 730 शहरों, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित की जा रही है। इस परियोजना में निरंकारी मिशन के करीब 1.5 लाख स्वयंसेवक अपने सहयोग द्वारा जल संरक्षण’ और ‘जल निकायों जैसे समुद्र तट, नदियां, झीले, तालाब, कुएं, पोखर, जोहड, विभिन्न झरनों, पानी की टंकियों, नालियों और जल धाराओं इत्यादि को स्वच्छ एवं निर्मल बनायेंगे। मिशन की लगभग सभी शाखाएँ इस अभियान में सम्मिलित होंगी और आवश्यकता पड़ने पर अलग-अलग शाखाएं भी निर्दिष्ट क्षेत्रों में सामूहिक रूप से इन सभी गतिविधियों में अपना योगदान देंगी।
निसंदेह यह परियोजना पर्यावरण संतुलन, प्राकृतिक की सुंदरता और स्वच्छता हेतु किया जाने वाला एक प्रशसनीय एवं सराहनीय प्रयास है। वर्तमान में हम ऐसी ही लोक कल्याणकारी परियोजनाओं को क्रियान्वित रूप देकर अपनी इस सुंदर धरा को हानि से बचा सकते है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर भी रोक लगाई जा सकती है।