भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी,,

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रिपोर्ट- शिवविलाश शर्मा R9 भारत जिला संवाददाता बाँदा

बांदा/ भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्राइवेट स्कूलों के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद कोरोना काल मे ली गई थी फीस का 15 फीसदी फीस की धनराशि वापस नहीं की जा रही है जिससे अभिभावकों में रोष व्याप्त है। अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की माफिया गिरी और दबंगई से त्रस्त है। स्कूल प्रबंधन जहां कोरोनावायरस मे ली गई थी वापस नहीं लौटा रहा है वही इस शिक्षा सत्र में पूरी की पूरी किताबें बदल दी हैं और स्कूल दुकानदारों से सांठगांठ करके महंगी महंगी किताबें बिकवा रहे हैं। एनसीईआरटी किताबें चलाने से परहेज कर रहे हैं। जबकि स्कूल बैग पॉलिसी 2020 में स्पष्ट किया गया है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत चलने वाले निजी शिक्षा संस्थानों में एनसीईआरटी द्वारा निर्मित पाठ्यक्रम चलाया जाए और एनसीईआरटी द्वारा प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित पुस्तकों की संख्या से ज्यादा ना हो। मासूमों के नाजुक कंधों पर मनमानी काफी किताब का बैग कम किया जाए। छोटे बच्चों का स्कूल बैग भारी होने के कारण उनका बचपन छीन रहा है वही वह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी ग्रसित हो रहे हैं। परंतु निजी शिक्षण संस्थान ऐसा न करके अभिभावकों पर लगातार मनमानी कर रहे हैं। अभिभावक अपने अधिकारों की भी मांग नहीं कर पा रहा है। अभिभावकों में भय व्याप्त है कि प्राइवेट स्कूल उनके बच्चे का भविष्य खराब कर देंगे जिस कारण अभिभावक को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश होने के बावजूद भी कोरोना काल में अदा की गई फीस का 15% नहीं लौटाया जा रहा है ।अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने बताया कि कोरोनावायरस के समय स्कूल द्वारा मात्र ऑनलाइन शिक्षण कार्य कराया गया था। इसके अलावा किसी भी प्रकार की बच्चों को कोई सुविधा नहीं दी गई थी। स्कूलों के द्वारा लगातार मुनाफाखोरी और व्यवसायिक गतिविधियां की जा रही थी जबकि स्कूली शिक्षा आमदनी का स्रोत नहीं है लेकिन स्कूलों के द्वारा कोरोनावायरस में भी पूर्ण रूप से अभिववको का शोषण किया गया था ।जिस कारण अभिभावकों को आर्थिक रूप से भारी परेशानी हुई थी इसी को लेकर माननीय उच्च न्यायालय की इलाहाबाद बेंच के चीफ जस्टिस राजेश जिंदल और जेजे मुनीर की पीठ ने रिट याचिका संख्या 556/ 2020 में दिनांक 6 जनवरी 2023 को अभिभावकों के हित में स्पष्ट रूप से आदेश पारित किया गया था लगभग 3 माह का समय हो चुका है लेकिन अभी तक अभिभावकों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में कोई धनराशि नहीं दी गई है ऐसा आज अमर उजाला समाचार पत्र को पढ़ने से खास तौर पर महसूस हुआ। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद बेंच ने आदर्श कुमार बनाम यूपी स्टेट आज में स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि स्कूलों के द्वारा जो कोरोनावायरस फीस वसूली गई है उसका 15 फ़ीसदी अभिभावकों को वापस कर दें अथवा जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनकी आगामी फीस में धनराशि को समायोजित कर दें। इसके अलावा माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि जो बच्चे विद्यालय छोड़कर चले गए हैं उनकी धनराशि उन्हें वापस की जाए। पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जीतू ने कहा कि जनपद में अभी तक शिक्षा विभाग से संबंधित नियंत्रक और मान्यता प्राप्त कार्यों के द्वारा निजी शिक्षण संस्थानों को किसी भी प्रकार के आदेश निर्गत नहीं किए गए हैं। जिस कारण माननीय उच्च न्यायालय का आदेश बेअसर हो रहा है। अभिभावकों मे लगातार असंतोष बढ़ रहा है। श्री त्रिपाठी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड नई दिल्ली के सचिव से और जनपद के जिलाधिकारी से मांग की है कि अभिभावकों से कोरोना काल में वसूली का 15 फ़ीसदी वापस दिलाने के लिए जिला अभिभावक शैक्षिक विवाद निस्तारण समिति तत्काल गठित की जाए।।साथ ही इस जिला शैक्षिक विवाद निस्तारण समिति के माध्यम से खुली प्रेस विज्ञप्ति अथवा सूचना अभिभावकों के लिए जारी की जाए कि जिन अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों के द्वारा कोरोना काल में 2020-21 में ली गई फीस का 15 फ़ीसदी धनराशि गणना करके वापस नहीं की जा रही है, वह अपनी रसीद अथवा प्रार्थना पत्र जिला शैक्षिक विवाद निस्तारण समिति के समक्ष प्रस्तुत करें।जिला शैक्षिक विवाद निस्तारण समिति को चाहिए कि वह अभिभावकों को राहत दिलाते हुए स्कूलों के माध्यम से कोरोना काल में जो फीस ली गई थी, जरिए अकाउंट पेयीचेक अथवा सीधे लोगों के खाते में वापस दिलाई जाए। ताकि अभिभावकों को राहत मिले और माननीय उच्च न्यायालय का आदेश प्रत्येक जिले में लागू हो सके।

 

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