केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर,जयपुर

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर,जयपुर

विश्व शिक्षा सम्मेलन का हुआ शुभारंभ 

केंद्रीय विश्वविद्यालय जयपुर परिसर में दिनांक 10/08/2023 को तीन दिवसीय विश्व शिक्षा सम्मेलन अनेक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में जयपुर में सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा सरस्वती मां के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा अर्चना की गई।कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों व श्रोताओं का वाचिक स्वागत तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रोफेसर वाई.एस.रमेश ने प्रस्तुत की। यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम में आईटी के रिसर्च सलाहकार व कंप्यूटर वैज्ञानिक तथा स्वच्छ भारत मिशन अभियान के ब्रांड एम्बेसडर डा. डी.पी.शर्मा ने सर्वप्रथम मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन देते हुए कहा की हमारी शिक्षा का मूल संस्कृत में है।जिसे तिरोहित कर दिया गया है वर्तमान में शिक्षा के दो स्तंभ की अत्यधिक आवश्यकता है पहला संस्कृत और दूसरा तकनीकी। हमें संस्कृत और वैदिक गणित जैसे विषयों को फिर से पुनर्जीवित करना होगा।आज अनेक पश्चात देशों में संस्कृत के विद्यालय और महाविद्यालय संचालित है।दुनिया में अमरीका के 18 विश्वविद्यालयों,जर्मनी के 14
विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है।इटली के न्यूरोसाइंस के वैज्ञानिक ने अभी सिद्ध किया है कि जब हम संस्कृत का वाचन करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार का वाइब्रेशन होता है जिससे दिमाग के आकार का विस्तार होता है आज पूरी दुनिया भारतीय ज्ञान परंपरा के विषयों को इंडोलॉजी के रूप में पढ़ रही है हमारे विश्वविद्यालयों को शिक्षा, शोध के साथ समाज सेवा करने की महती आवश्यकता है। क्योंकि विश्वविद्यालय कम्युनिटी सर्विस का साधन है उनके बिजनेस सर्विस का साधन बनने से हमारी शिक्षण परंपरा को गहरी क्षति पहुंचती है। डा. शर्मा ने कहा की संस्कृत भाषा की मोरफोलोजी अपने आप में अद्वितीय है।और यह किसी भी वैज्ञानिक तंत्र के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है। जेसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।आज का डिजिटल कंप्यूटर सिर्फ 0 और 1 को समझाता है ज्ञात रहे कि 0 का आविष्कार भारत ने किया और 1 का आविष्कार दुनिया ने किया यानी भारत का कंप्यूटर विकास में 50% योगदान है परंतु उसे षणयंत्र के तहत 0 बना दिया गया कंप्यूटर के आर्किटेक्चर में वैदिक मैथमेटिक्स की विधा का इस्तेमाल किया गया क्रेडिट भारत की किसी ने नहीं दिया। मोका मारीशस में स्थित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के महानिदेशक राजकुमार रामप्रताप ने ऑनलाइन जुड़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठरी, सारस्वत अतिथि अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांतरंजन, विशिष्ठ अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी रहे ।कार्यक्रम की अध्यक्षता जयपुर परिसर के निदेशक प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा ने की ओर कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के समन्वयक डा. डंबरूधर पति ने किया।कार्यक्रम के अंतिम सत्र में दर्शन विभाग के सहायकाचार्य डा.पवन व्यास ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
रिपोर्ट कुश राठौर राजाखेड़ा।

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