गृहस्थ आश्रम मे ही धर्म ही मुख्य है-पं श्री व्यास जी!

गृहस्थ आश्रम मे ही धर्म ही मुख्य है-पं श्री व्यास जी!

संवाददाता इदरीस विरानी

दामजीपुरा:—सभी आश्रम मे गृहस्थ आश्रम श्रेष्ट है पति पत्नी साथ साथ ईश्वर की आराधना करें तो प्रभु प्रसन्न होते है!

जो लोग योग साधना नहीं कर पाते उन्हें गृहस्थ आश्रम योग का फल देता है, विवाह विलाप के लिए नहीं सयम के लिए है!उक्त उदगार दामजीपुरा मे चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन नगर सिराली के प्रसिद्ध कथाकार पं. संजय जी व्यास ने व्यास गादी से व्यक्त किये, पं.व्यास ने कर्दम ऋषि एवं देवहुती
के विवाह एवं कपिल भगवान के अवतार की कथा सुनाई पं. व्यास ने कह जो आनंद योगी को समाधी मे मिलता है वही आनंद गृहस्थ व्यक्ति के घर मे पा सकता है, किन्तु इसके लिए पति पत्नी को चाहिए की वह एकांत मे कृष्ण कीर्तन करें, महात्माओं ने कई बार कहा है गृहस्थ का आनंद योगी के आनंद से भी श्रेष्ठ है!

ग्राम दामजीपुरा के भजनलाल राठौर परिवार के द्वारा कथा का आयोजन किया जा रहा है,पं. व्यास जी के सुमधुर भजनो पर श्रोताओं ने जमकर नृत्य किया और पं. व्यास को श्रवण करने आस पास के गावों से बड़ी संख्या मे श्रोता कथा स्थल पहुंच रहे है!

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