इंडियन बैंक में चोरी की वारदात ने पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही सुरक्षा के लेकर पुलिस के बड़े-बड़े दावों को भी झूठा साबित करने का काम किया है। चोरी की सूचना के बाद चंदौली के लोग यह कहते हुए सुने गए कि एसपी चंदौली व जनपद पुलिस को यह बताना चाहिए कि आखिर जब उनके बंगले के बगल में बैंक में चोरी हो जारही है तो जनपद में आखिर ऐसी कौन-सी जगह है जो सुरक्षित है। आमजन का पुलिस से यह सवाल काफी हद तक जायज मालूम पड़ता है, क्योंकि इंडियन बैंक और पुलिस अधीक्षक आवास की दूरी बमुश्किल 50 मीटर होगी। जब चोर ऐसे सुरक्षित स्थान पर चोर सेंधमारी कर सकते हैं तो सुरक्षा के दावे पर सवाल लाजिमी है।
फिलहाल इस घटना से सबसे बड़ा नुकसान लाकरधारियों को हुआ है, जिनके दावे पर यकीन करें तो बैंक लाकरों में रखा करोड़ों का पार चोरों ने पार कर दिया है। इस मामले में पारदर्शिता की बजाय पर्दा डालने का काम किया जा रहा है। इंडियन बैंक लाकरधारी रेखा सिंह ने बताया कि बैंक में उनके लाकर में 20 से 22 लाख रुपये के आभूषण रखे गए थे। चोरी की सूचना के बाद जब यहां पहुंची तो अंदर जाने से पुलिसवालों ने रोक रखा है। अंदर लाकर की स्थिति क्या है? क्या चोरी हुआ और क्या बचा इसकी जानकारी नहीं है। चंदौली कोट निवासी लाकरधारी अश्वनी सिंह ने बताया कि उनके लाकर में पत्नी व माता के 20 से 25 लाख कीमत के आभूषण रखे गए। बताया कि मेरा लाकर 2011 से बैंक में है फिलहाल लाकर की क्या स्थिति है यह बता पाना मुश्किल है। पुलिस वाले बैंक शाखा में जाने रोक रहे हैं। लाकरधारी बृजेश चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि मेरा व मेरी पुत्री बरखा रानी के नाम से संयुक्त लाकर ले रखा है। जिसमें 35 से 40 लाख रुपये के गहनों के साथ ही चांदी के बर्तन रखे गए थे। हम सभी लाकर की स्थिति जानने के लिए पिछले तीन घंटों से हलकान है, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। पुलिस वालों का व्यवहार भी अनुचित रहा है। इनके व्यवहार से ऐसा लग रहा है मानो हम सभी ने लाकर लेकर बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। . . चंदौली संवाददाता शिवेंद्र प्रताप सिंह