जनपद देवरिया अब तक कुल 155000 डोज एल.एस.डी. वैक्सीन प्राप्त हुई है

जनपद देवरिया अब तक कुल 155000 डोज एल.एस.डी. वैक्सीन प्राप्त हुई है तथा 21वीं पशुगणना के अनुसार कुल 150934 गोवंश अनुमानित है। दिनांक 22.09.2025 तक कुल प्रगति 139000 डोज लगाई जा चुकी है। जनपद में 16 विकास खण्ड स्तरीय पशु चिकित्सालयों पर 142100 डोज गोवंश की संख्या के अनुसार आपूर्ति कर दी गयी है। 14600 वैक्सीन आज की तिथि में पशुचिकित्सालयों पर अवशेष है तथा केन्द्रीय भण्डार में 12500 वैक्सीन अवशेष है। जनपद में कुल 160 ईपी सेन्टर है, जिसमें 320 गांव सम्मलित है। जनपद में उक्त बीमारी से संक्रमित गोवंशों की संख्या 2051 है, जिसमें से 1608 गोवंश संक्रमण से रिकवर हो चुके हैं। वर्तमान में एल.एस.डी. बीमारी से संक्रमित गोवंशों की संख्या 443 है, जिनकी निरन्तर चिकित्सा एवं अनुश्रवण किया जा रहा है। जनपद में कुल 1174 ग्रामों में बिहार बार्डर पट्टी के 165 ग्राम है, जिनमें सभी 165 ग्रामों में एल.एस.डी. टीकाकरण कार्य पूर्ण कराया जा चुका है तथा बिहार बार्डर पट्टी के बाहर 1009 ग्रामों में से 875 गांवों में रिंग वैक्सीनेशन तथा अन्य 125 गांवों में सामान्य टीकाकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है। अब तक कुल 1165 गांवों में एल.एस.डी. टीकाकरण पूर्ण किया जा चुका है। जिससे अब स्थिति नियंत्रण में है। सभी विकास खण्डों पर 16 टीम लगातार टीकाकरण, चिकित्सा एवं अनुश्रवण कार्य कर रही है। आपात स्थिति को देखते हुए दिनांक 14.09.2025 से मोबाईल वेटनरी यूनिट की 05 वाहन की सेवाएं 1962 नम्बर से अग्रिम आदेश तक सभी आपात कालीन सेवाएं निरन्तर देंगी। एल.एस.डी. बीमारी जानलेवा नहीं है, यह केवल गोवंशों को पीड़ित करती है तथा लगभग 15 दिन से 01 माह तक में पूर्ण रूप में ठीक हो जाती है, इस बीमारी से मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम है, तथा गोवंशो में केवल 7 प्रतिशत में ही लम्पी के लक्षण प्रकट होते है। मनुष्यों में यह संक्रमण नहीं फैलता है। सभी खण्ड विकास अधिकारी एवं अधिशासी अधिकारी जनपद देवरिया अपने अपने क्षेत्र में लम्पी से संक्रामक रोग के रोकथाम में वेक्टर कन्ट्रोल, फागिंग, सेनिटाईलेशन, एवं बिमारी के ईपी सेन्टर पर आवागमन को प्रतिबन्धित करने हेतु दिनांक 16.09.2025 को अवगत कराया गया है। पशु पालको से अपील किया कि अफवाहों पर ध्यान न दें, सतर्क रहें, धैर्य रखे तथा बिमारी के प्रकृति एवं उसके प्रबन्धन हेतु राजकीय पशु चिकित्सालयों पर सम्पर्क कर उचित बैज्ञानिक सलाह के अनुसार चिकित्सा करायें, अंधाधुन्ध एलोपैथिक दवाओं का विशेष तौर पर काटिकोस्टेराइड एवं उच्च एन्टीबायोटिक का कतई प्रयोग न करें। प्रतिदिन गूगल मिटिंग कर रोग नियंत्रण की समीक्षा मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी के द्वारा की जाती हैं, स्थिति नियंत्रण में है वैक्सीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

(डा0 ए0के0 वैश्य)
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी,
देवरिया।

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