चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट
प्रतिदिन 19 घंटे 25 मिनट में 77 माल गाड़ियों में होता हैं कोयला परिवहन
* परंतु रेल यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए रेल प्रबंधन के पास समय की कमी ?
कोरबा// कोरबा लोकसभा क्षेत्र सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत लगातार रेल यात्री सुविधा को लेकर काफी सक्रिय रही है, इस हेतु श्रीमती महंत द्वारा हर अवसर पर रेल संबंधी मुद्दे न केवल उठाए जा रहे हैं, बल्कि बिलासपुर रेल प्रबंधन से लेकर केंद्रीय रेलमंत्री तक मुलाकात कर उन्होंने यात्री गाड़ी/रेल यात्री सुविधा बढ़ाने हेतु मांग पत्र भी सौंपा गया हैं। अभी हाल ही में जब सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत ने यात्री गाड़ियों एवं माल गाड़ियों के परिचालन के संबध में जानकारी मांगी तो दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे बिलासपुर के महाप्रबंधक ने लिखित में उन्हें जानकारी दी।
महाप्रबंक की जानकारी से यह बात पूरी तरह से स्पष्ट होती है कि फिलहाल माल गाड़ियों पर ही उनका पूरा ध्यान है, कोरबा जिले में स्थित कोयला खदानों से कोयला लोडिंग कर संचालन किया जा रहा हैं। महाप्रबंधक द्वारा दी गयी अधिकृत जानकारी के अनुसार यहां प्रतिदिन 77 माल गाड़ियों का लोडिंग और संचालन किया जाता हैं।
अनुमानतः एक मालगाड़ी में कोयला लोडिंग करने में करीब पंद्रह मिनट का समय लगता हैं, इस प्रकार 77 मालगाड़ियों में करीब 19 घंटे 25 मिनट का समय लगता है। इस प्रकार देखा जाए तो यात्री गाड़ी की सुविधा बढ़ाने के लिए रेल प्रबंधन के पास समय ही नहीं है। प्रतिदिन 24 घंटे में 19 घंटे 25 मिनट तो कोयला लोडिंग करने वाली माल गाड़ियों में ही निकल जा रहा हैं। ऐसी स्थिति में कोरबा में यात्री रेल सुविधा बढ़ने की कल्पना फिलहाल तो नहीं की जा सकती, क्योंकि उसके लिए रेल लाइन के अतिरिक्त यात्री गाड़ी के लिए वह समय निकालना पड़ेगा जिससे कोयला लोडिंग का कार्य प्रभावित न हो। जानकारी के अनुसार रेल प्रबंधन टाइम मैनेजमेंट में इसलिए दिलचस्प नहीं ले रहा हैं क्योंकि यात्री गाड़ी बढ़ाने से निश्चित ही माल गाड़ियों की आवाजाही और कोयला लोडिंग का कार्य प्रभावित होगा।
सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत द्वारा मांगी गई जानकारी पर दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ने लिखित में अधिकृत जानकारी देते हुए बताया की आपके पत्र के संबंध में, मैं आपको सूचित करना चाहता हूँ कि कोरबा-दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे का एक प्रमुख लोडिंग हब है, जहाँ एसईसीएल द्वारा खनन गतिविधियाँ की जाती हैं। यहाँ से प्रतिदिन औसतन 77 मालगाड़ियों का लोडिंग एवं संचालन किया जाता है। वर्तमान में कोरबा क्षेत्र में अनेक क्षमता वृद्धि एवं यात्री सुविधा संबंधी कार्य प्रगति पर हैं।
कोरबा यार्ड में सुचारू ट्रेन संचालन हेतु ₹62 करोड़ की लागत से यार्ड रीमॉडलिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सीईआरएल एवं सीईडब्लूआरएल द्वारा धर्मजयगढ़ से कोरबा तथा गेवरा रोड से पेंड्रा रोड तक नई रेल लाइनों का निर्माण लगभग ₹6650 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। कोरबा एवं इसके आसपास स्थित साइडिंग्स में भी क्षमता वृद्धि संबंधी कार्य प्रगति पर हैं। साथ ही, चांपा-गेवरा रोड तृतीय एवं चतुर्थ लाइन का सर्वे भी स्वीकृत होकर कार्यरत है।
ये व्यापक अवसंरचना संबंधी कार्य दीर्घकालीन विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह सभी कार्य इस क्षेत्र से चलने वाली मालगाड़ियों के सुचारु संचालन तथा सवारी गाड़ियों को चलाने के लिये क्षमता विकसित करने हेतु किये किये जा रहे है। साथ ही बिलासपुर-झारसुगुड़ा खण्ड पर भी चतुर्थ लाइन का कार्य प्रगति पर है। इन कार्यों को पूरा करने के कारण ट्रेनों के रद्द होने एवं विलंब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इन कार्यों (चांपा-गेवरा तीसरी एवं चतुर्थ लाइन को छोड़कर) के वर्ष 2026-27 तक पूर्ण होने पर कोरबा क्षेत्र में अतिरिक्त एवं बेहतर यात्री सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
इसके अतिरिक्त, कोरबा स्टेशन का उन्नयन ₹15 करोड़ की लागत से अमृत स्टेशन के रूप में किया जा रहा है तथा यात्री गाड़ियों हेतु ₹2.6 करोड़ की लागत से त्वरित जलापूर्ति प्रणाली भी स्थापित की जा रही है। ये सभी कार्य सामूहिक रूप से क्षमता वृद्धि, यात्री सुविधाओं में सुधार तथा कोरबा क्षेत्र में परिचालन दक्षता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ताकि और यात्री गाड़ियां चलाई जा सके।