चंबल में कछुओं की घर वापसी, 3,267 नन्हे जीवन लौटे नदी में

चंबल में कछुओं की घर वापसी, 3,267 नन्हे जीवन लौटे नदी में

धौलपुर, अगस्त 2025।

 

 

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, धौलपुर से एक सुखद खबर सामने आई है। लंबे समय से विलुप्ति के कगार पर खड़े कछुओं की प्रजातियों को बचाने के प्रयासों ने रंग लाया है। राजस्थान वन विभाग और TSA फाउंडेशन इंडिया के सहयोग से चलाए गए संरक्षण अभियान के अंतर्गत हजारों अंडों को सुरक्षित संरक्षित कर नन्हे कछुओं के रूप में चंबल नदी में वापस लौटाया गया है।

जानकारी के अनुसार, रेडकाउन रूफ टर्टल (बाटागुर कछुआ) और श्री-स्ट्राइप्ड रूफ टर्टल (बाटागुर धोनिका) जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में यह अनोखी पहल की गई। डॉ. आशीष व्यास के नेतृत्व में स्थानीय अधिकारियों, TSA कर्मचारियों और ग्रामीणों की मदद से चंबल नदी के 35 किलोमीटर क्षेत्र में गहन पेट्रोलिंग की गई। इस दौरान 160 से अधिक घोंसलों से लगभग 3,470 अंडे एकत्र कर उन्हें सुरक्षित अस्थायी हैचरी में रखा गया।

हैचरी में किए गए वैज्ञानिक प्रयासों से लगभग 3,267 कछुए (करीब 95 प्रतिशत सफलता) के साथ जन्मे। इसके बाद मई माह में इन नन्हे कछुओं को चंबल नदी में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना संकटग्रस्त प्रजातियों के दीर्घकालिक संरक्षण और पुनर्वास के लिए एक बड़ा कदम साबित होगी।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की पहल न केवल जैव विविधता को बचाने में सहायक होगी बल्कि नदी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ग्रामीणों और स्थानीय समुदाय की भागीदारी ने इस अभियान को और अधिक सफल बनाया।

राज्य स्तर पर भी इस पहल को सराहना मिली है। इसे वन महोत्सव 2025 में प्रदर्शित किया गया, जहां मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास बताते हुए सराहा।

यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है कि यदि वैज्ञानिक पद्धतियों और सामुदायिक सहयोग से काम किया जाए तो लुप्तप्राय प्रजातियों को भी फिर से जीवन दिया जा सकता है।

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