शर्मनाक: एसडीएम के आश्वासन के 48 घंटे बाद भी ‘2 किलोमीटर’ दूर पीड़ित तक नहीं पहुंचा प्रशासन

महासमुन्द/पिथौरा
खगेश साहू
मो .9399359619

शर्मनाक: एसडीएम के आश्वासन के 48 घंटे बाद भी ‘2 किलोमीटर’ दूर पीड़ित तक नहीं पहुंचा प्रशासन

 

​पिथौरा। पिथौरा तहसील के ग्राम जंघोंरा में प्राकृतिक आपदा के शिकार बालाराम चौहान के गरीब परिवार के लिए सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता एक बार फिर उजागर हुई है। जहां एक ओर मूसलाधार बारिश ने बालाराम का मकान ढहा दिया, वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन ने अपनी अत्यधिक धीमी चाल से सरकारी मदद के भरोसे बैठे परिवार को खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया है।
​सबसे चौंकाने वाला और निंदनीय तथ्य यह है कि यह पीड़ित परिवार अनुविभागीय अधिकारी (SDM) कार्यालय से महज़ 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। SDM बजरंग वर्मा ने खुद त्वरित सहायता और पटवारी को प्रकरण बनाने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद, उनके आश्वासन के पूरे 48 घंटे बीत जाने के बाद भी प्रशासन का एक भी नुमाइंदा, पटवारी या अधिकारी, पीड़ित बालाराम की सुध लेने नहीं पहुंचा है।

​आपदा नियमों की अनदेखी, समाजसेवी ने पहुंचाई तत्काल राहत
​जिस समय सरकारी अमला अपनी संवेदनहीनता की चादर ओढ़े रहा, स्थानीय समाजसेवी आकाश अग्रवाल ने मानवीय धर्म निभाते हुए तत्काल जंघोंरा पहुंचकर 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। यह घटना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत त्वरित राहत पहुँचाने के नियमों की प्रशासनिक अनदेखी को साफ दर्शाती है।
​प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि जिस गरीब परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना या आपदा राहत कोष से तुरंत सहायता मिलनी चाहिए थी, उसे अब जाकर स्वयं के प्रयासों से टूटी दीवारों को खड़ा करने का प्रयास शुरू करना पड़ा है।

​SDM के सीधे निर्देश की अवहेलना और 2 किलोमीटर की दूरी पर बेघर हुए परिवार को 48 घंटे तक उपेक्षित छोड़ देना यह साबित करता है कि स्थानीय नौकरशाही कितनी निरंकुश हो चुकी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला कलेक्टर महोदय इस शर्मनाक प्रशासनिक लापरवाही का संज्ञान लेंगे? और निर्देश की अवहेलना करने वाले और गरीब की मदद में घोर उदासीनता बरतने वाले कर्मचारियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई करेंगे या नहीं?
​प्रशासन की यह धीमी चाल उसकी कार्यशैली पर एक काला धब्बा है, जिसने सरकारी मदद पर गरीब जनता के भरोसे को तोड़ दिया है।

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