दलाल कहने वाले पहले मेरा संघर्ष देखें, मेरी मिट्टी से मेरा रिश्ता समझें – ज्योति जंघेल

दलाल कहने वाले पहले मेरा संघर्ष देखें, मेरी मिट्टी से मेरा रिश्ता समझें – ज्योति जंघेल

FIR, आरोपों और आंदोलन से दूरी की गलतफहमियों पर जनपद सभापति ने पहली बार खोला दिल

खैरागढ़. श्री सीमेंट खदान परियोजना को लेकर क्षेत्र में उठे विवाद के बीच जनपद सभापति ज्योति जंघेल ने सोमवार को एक भावुक और स्पष्ट बयान जारी करते हुए उन सभी गलतफहमियों पर जवाब दिया, जो पिछले कुछ दिनों में तेजी से फैल रही थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें कंपनी का समर्थन करने वाली, जमीन बेचवाने वाली और आंदोलन से दूर रहने वाली बताकर जिस तरह निशाना बनाया गया, वह न सिर्फ गलत है बल्कि गहरी व्यक्तिगत पीड़ा देने वाला है।

ज्योति ने कहा—मैं उसी मिट्टी की बेटी हूँ। मेरे पुरखे इसी खेत में पले-बढ़े, मेरी बेटियों का जन्म यहीं हुआ। क्या मैं उसी जमीन को किसी फैक्ट्री के हवाले होते देख सकती हूँ?

उन्होंने याद दिलाया कि 2023 में सबसे पहले विरोध उन्होंने ही शुरू किया था, जब यह परियोजना प्रारंभिक चरण में थी। उस समय वे सरपंच थीं, उन्होंने ग्रामसभा बुलाई, ग्रामीणों का नेतृत्व किया और कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। इस विरोध के चलते उनके ऊपर IPC 186, 323, 147, 341, 427 सहित कई धाराओं में FIR दर्ज कर दी गई।

उन्होंने कहा, मैं आज भी उस केस को अपने निजी खर्च से लड़ रही हूँ। अगर मैं कंपनी के साथ होती, तो FIR क्यों झेलती? जिस व्यक्ति पर इतना बोझ हो, वह किसी कंपनी की दहलीज़ पर कैसे झुकेगा?

उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सभा में कुछ लोगों ने उन्हें दलाल कहकर संबोधित किया। ज्योति ने कहा—जब मैं विरोध कर रही थी, तब यही लोग मुझे ‘विकास रोकने वाली’ कहते थे। आज वही लोग विरोध का नेतृत्व करने का दावा करते हैं और मुझे दलाल बताते हैं। यह गहरी चोट पहुँचाता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलन में शारीरिक रूप से न जुड़ पाने का कारण सिर्फ और सिर्फ गंभीर पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। मेरे घर में ऐसी स्थिति है कि मैं बाहर नहीं आ पा रही हूँ, पर इसका अर्थ यह नहीं कि मेरा दिल किसानों के साथ नहीं है। मेरी जमीन भी उसी क्षेत्र में है—अगर फैक्ट्री लगेगी, तो सबसे पहले मेरा ही घर उजड़ेगा। लोग क्यों नहीं सोचते मैं क्यों चाहूँगी कि मेरा परिवार बेघर हो?

अंत में उन्होंने हाथ जोड़कर ग्रामीणों से कहा— मैं आपकी बेटी हूँ, आपकी बहू हूँ। आपकी लड़ाई मेरी अपनी लड़ाई है। मेरे बारे में सुनकर मत मानिए—मेरे कार्य देखकर मानिए। जब तक सांस चलेगी, मैं किसानों के साथ खड़ी रहूंगी।

सीधे सवाल (ज्योति जंघेल सभापति जनपद पंचायत छुई खदान )

सवाल 1: लोग कहते हैं आपने जमीन बेचकर कंपनी का समर्थन किया। सच क्या है?

जवाब: यह पूरी तरह गलत है। मैंने अंदर की जमीन सिर्फ इसलिए बेची क्योंकि मेरे परिवार को सड़क किनारे जमीन खरीदनी थी—यह एक निजी पारिवारिक आवश्यकता थी। इसका कंपनी या परियोजना से कोई लेना-देना नहीं। अगर मैं कंपनी का समर्थन करती होती, तो सबसे पहले मेरा अपना परिवार प्रभावित होता क्योंकि मेरी जमीन भी खनन क्षेत्र में आती है।

सवाल 2: क्या आपने दूसरों को भी जमीन बेचने के लिए प्रेरित किया?

जवाब: यह आरोप बेहद दुखद है। मैंने कभी किसी किसान को जमीन बेचने के लिए न कहा, न कह सकती हूँ। किसान की जमीन उसकी माँ होती है। मैं किसी की माँ बिकवाने की सलाह नहीं दे सकती। मेरे निजी निर्णय को दूसरों पर थोपना गलत है। यह अफवाह फैलाकर मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश किया जा रहा है।

सवाल 3: रैली में आपकी अनुपस्थिति से संदेह क्यों बढ़ा?

जवाब: मैं आंदोलन से दूर नहीं हूँ—बस मेरे घर में गंभीर पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधित समस्या है। इसी कारण मैं रैली में शामिल नहीं हो पाई। लेकिन मेरी आत्मा, आवाज़ और संकल्प किसान हित में हैं। रैली में न दिखने का मतलब यह नहीं कि मैं किसानों के खिलाफ हूँ। यदि ऐसा होता तो 2023 में FIR क्यों झेलती?

सवाल 4: आपके ऊपर दर्ज FIR की सच्चाई क्या है?

जवाब: जब मैंने 2023 में सबसे पहले विरोध किया, तब मुझ पर IPC 186, 323, 147, 341, 427 सहित कई धाराओं में FIR दर्ज की गई। यह सब इसलिए क्योंकि मैं किसानों की आवाज़ बनकर सामने आई थी। आज भी वह केस मैं अपने खर्च पर लड़ रही हूँ। अगर मैं कंपनी के साथ होती, तो केस नहीं लड़ती—केस लड़ती हूँ क्योंकि मैं किसानों के साथ हूँ।

सवाल 5: क्या आप जनसुनवाई को रद्द करने के समर्थन में हैं? कुछ लोगों का कहना है कि आपने इसका विरोध नहीं किया।

जवाब: मैं बिल्कुल स्पष्ट कहना चाहती हूँ—मैं पहले भी जनसुनवाई रद्द करने के समर्थन में थी और आज भी उसी मांग के साथ खड़ी हूँ।मैं बताना चाहती हूँ कि जनपद सभापति के तौर पर 14 नवंबर को हुई सामान्य प्रशासन समिति की बैठक में मैंने साफ समर्थन दिया था कि जनसुनवाई रद्द होनी चाहिए। आप किसी भी जनपद सदस्य, सभापति या अधिकारी से पूछ सकते हैं—मेरे लेटर में कहीं भी जनसुनवाई या परियोजना के समर्थन की एक भी लाइन नहीं है। लोगों को बस गलतफहमी हो गई है कि मैंने समर्थन नहीं दिया। अगर मैं कंपनी के पक्ष में होती, तो जनपद की आधिकारिक बैठक में जनसुनवाई रद्द करने का समर्थन क्यों करती?

सवाल 6: किसानों को आपका अंतिम संदेश ?

जवाब: आपका विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। मैं आपकी बेटी, बहू और प्रतिनिधि हूँ—आपका दर्द मेरा अपना दर्द है। किसानों की लड़ाई मेरी सांसों की लड़ाई है। जब तक यह क्षेत्र साँस ले रहा है, मैं आपके साथ खड़ी रहूँगी।

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