मां नर्मदा की आरती के साथ मां अन्नपूर्णा शिव महापुराण कथा का हुआ शुभारंभ

मां नर्मदा की आरती के साथ मां अन्नपूर्णा शिव महापुराण कथा का हुआ शुभारंभ

REPOTER BY – इदरीश विरानी , भीमपुर

पंडित श्री शिवम कृष्ण जी बुधौलिया के मुखारविंद से श्री अन्नपूर्णा शिव महापुराण की रंभा में आज तीसरे दिन की होगी कथा पंडित जी ने कहा

धर्मपत्नी बनना हो तो पतिदेव महादेव को साथ लाना है तब धर्मपत्नी कहलाऊगी सज्जनों

कथावाचक पंडित श्री शिवम कृष्ण बुधौलिया जी की मां अन्नपूर्णा शिवमहापुराण कथा श्रवण करने का हाल ही में रंभा ग्राम और आसपास के भक्तों को सौभाग्य प्राप्त हो रहा। इस दौरान पूरा क्षेत्र देवाधिदेव महादेव की भक्ति में भक्तजन डूब रहे है। रोजाना बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे। वैसे तो पंडित जी को पहले से ही अधिकांश भक्त भली भांति जानते हैं और नित्य उनकी कथा भी श्रवण करते हैं। रंभा में कथा के दौरान कई नए श्रद्धालु भी उनसे जुड़े और अब वे भी लगातार उनकी कथा सुनने को उत्सुक हैं।

अब 10 से 29 फरवरी तक उनकी श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन ग्राम पाडली में दादाजी के परम भक्त श्री संदीप जी राठौर के निजी निवास स्थान पर होगी आपको बता दूं की संदीप जी राठौर के निजी निवास स्थान पर श्री दादाजी धूनीवाले श्री हरिहर जी स्वयं स्थित है वहां पर प्रतिदिन दादा नाम का गुणगान होता है धर्म स्थली है पंडित शिवम जी द्वारा कथा सुनाई जाएगी।आज रंभा में , तीसरा दिन कथा होगी ग्राम रंभा में का कथा में प्रतिदिन श्रद्धालु की बढ़ोतरी होती जा रही है बाबा भोलेनाथ की भक्ति में श्रद्धालु झूमते नजर आ रहे हैं श्रद्धालु जमकर उमड़े वही महिलाओं की संख्या बहुत अधिक पहुंच रही हैं। हालांकि सभी के लिए वहां कथा सुनना बहुत अनिवार्य होता है वही पंडित जी ने यह भी कहा कथा सुनने के लिए आपको धर्म पत्नी बनना होगा अपने महादेव को साथ लाना जब आप बनोगी धर्मपत्नी जब आप अपने पतिदेव को साथ लेकर आएंगे आपकी महादेव को साथ लेकर आना है
कथा आयोजन करता बाबा महाकाल के परम भक्त हमारे भीमपुर ब्लॉक के वरिष्ठ संवाददाता के पिता श्री लखन आर्य के निजी निवास स्थान पर यह पुण्य कार्य किया जा रहा है निरंतर क्षेत्र में धर्म कार्य करते आ रहे हैं धर्म क्षेत्र में अनेकों कार्य किए जाते हैं उनके द्वारा श्री श्याम आर्य भीमपुर ब्लॉक की राष्टीय हिंदू युवा वाहिनी अध्यक्ष भी है तीनों पुत्र इस कथा में जोरो से अपनी व्यवस्था को लेकर भागा दौड़ी में लगे हैं श्रद्धालु भी बढ़-चढ़कर शिव पुराण के कार्यों में अपना हाथ बढ़ा रहे हैं ऐसे श्रद्धालुओं श्याम आर्य ने बार-बार प्रणाम किया
पंडित श्री शिवम कृष्ण बुधौलिया जी का श्रद्धालु स्वागत कर रहे हैं कथा पंडाल में पहुंचने के पहले श्रद्धालु कथावाचक की जोरों से स्वागत के साथ आज तीसरे दिन कथा का शुभारंभ किया जा रहा है पंडित जी ने कई उपाय भी बताएं जिससे जीवन का उद्धार हो आज कथा के तीसरे दिन में पंडित जी ने पृथ्वी पर नर्मदा : स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर गईं।
उसी समय महादेव जी ने तीन पर्वतों की सृष्टि की-
प्रलय में भी मेरा नाश न हो।
मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध रहूं।
मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो।
मेरे (नर्मदा) तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।
* जन्मकथा 2 : मैखल पर्वत पर भगवान शंकर ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से कुछ ऐसे वरदान प्राप्त किए जो कि अन्य किसी नदी के पास नहीं है – जैसे,

* प्रलय में भी मेरा नाश न हो।
* मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध रहूं।
* मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो।
* मेरे (नर्मदा) तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।

* पृथ्वी पर नर्मदा : स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर गईं।

जन्मकथा 2 : मैखल पर्वत पर भगवान शंकर ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से कुछ ऐसे वरदान प्राप्त किए जो कि अन्य किसी नदी के पास नहीं है – जैसे,
* प्रलय में भी मेरा नाश न हो।
* मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध रहूं।
* मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो।
* मेरे (नर्मदा) तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।

पृथ्वी पर नर्मदा : स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर गईं।

श्री दादाजी धूनीवाले जी हरिहर जी मां नर्मदा जी का लगा दरबार
बताया गया की श्री दादाजी धूनीवाले श्री हरिहर जी श्री गौरीशंकर जी महाराज का नर्मदा जी का दरबार 9 दिनों तक लगा है दादा नाम का कीर्तन के साथ मां नर्मदा की आरती के साथ मां अन्नपूर्णा शिव महापुराण कथा का शुभारंभ किया जाता है आदरणीय आर्य परिवार दादा का परिवार कहा जाता है

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