महापड़ाव में धौलपुर के मंत्रालयिक कार्मिकों के जाने से सरकार का मंहगाई राहत शिविर फेल एवं आमजन परेशान।
राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर राजस्थान के 55 से अधिक राजकीय कार्यालय में कार्यरत 70,000 से अधिक बाबू 10 अप्रैल से सामूहिक अवकाश एवं 17 अप्रैल सेजयपुर में महापडाव डाले हुए हैं। 45 डिग्री के तापमान में भी मांगों को पूरा करने के लिए राजस्थान के बाबू शिप्रा पथ मैदान पर डटा हुआ है।महापड़ाव में धौलपुर जिले से भी 250 से अधिक कार्मिक मौजूद है।
राजस्थान का बाबू 11 सूत्रीय मांगों को लेकर गत 10 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर है गौरतलब है कि राजस्थान के बाबू संवर्ग के कर्मचारी ग्रेड पे 3600 किए जाने एवं अंतिम पदोन्नति वरिष्ठ संस्थापन अधिकारी का नया पद एवं 8700 ग्रेड पे किए जाने, पंचायत राज विभाग में जिला स्थानांतरण नीति को खोले जाने,पदोन्नति में एक बार पूर्ण शिथिलन प्रदान करने, व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा वर्ष 2013 में कनिष्ठ सहायक का वेतनमान 9840 किया गया था, जिसको भाजपा सरकार के द्वारा कटौती करके 8080 कर दिया गया था। उसको पुन बहाल करके कर न्यूनतम वेतनमान 25500 किए जाने एवं वेतन कटौती को बापिस करने के लिए अपनी मांगों को लेकर राजस्थान का बाबू महापड़ाव डाले हुए हैं। जयपुर के शिप्रा पथ पर आज 11वें दिन भी महापड़ाव में बाबू डटे हुए है।
धौलपुर के जिलाध्यक्ष गोपाल अवस्थी एवं जिला महामंत्री नरेश परमार के नेतृत्व में जिले के लगभग 250 से अधिक बाबू महापड़ाव में उपस्थित है। आज मंच से अपना संबोधन देते हुए जिला प्रवक्ता देवेंद्र सिंह कश्यप ने कहा कि अबकी बार बाबू सरकार से आर पार की लड़ाई के मूड में है। जब तक सरकार हमारी वित्तीय मांगों के आदेश करके हमें नहीं दे देती है, तब तक राजस्थान का बाबू जयपुर से वापस नहीं लौटेगा। जिला अध्यक्ष गोपाल अवस्थी ने मंच से अपना संबोधन देते हुए कहा कि राजस्थान का बाबू सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करते है। बाबू सरकार और जनता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है इसके बावजूद सरकार के द्वारा हमारे संवर्ग की उपेक्षा की जा रही है। सितंबर 2021 में सरकार के साथ हुए लिखित समझौते की पालना भी सरकार के द्वारा नहीं की जा रही है। इसीलिए राजस्थान का बाबू अपनी मांगों को पूरा कराए बिना इस बार जयपुर से नहीं लोटेगा।
मंत्रालयिक कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण आमजन को अपने विभिन्न कार्यों को कराए जाने के लिए कार्यालय दर कार्यालय भटकना पड़ रहा है। सरकार का भी 11 दिवस में अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान हो गया है।
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