R9 भारत से जिला ब्यूरो चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट
सदभावना भवन करतला में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
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भारतीय संस्कृति में नारी की सम्मान बहुत महत्व है फूलसिंह राठिया..
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करतला // सदभावना भवन करतला में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया विकास परियोजना अधिकारी करतला के नेतृत्व में विभिन्न कार्य क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं शामिल हुई। इस कार्यक्रम में विकास परियोजना अधिकारी रागिनी बैस, विकास परियोजना अधिकारी रमोला रानी बरपाली, सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन,लालति राठिया जनपद सदस्य नोनबिर्रा,चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं ,समाजसेवी ग्रहणी राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण को लेकर अपने-अपने विचार प्रकट कर महिला उत्थान के विषय को बड़ी प्रमुखता से रखा।
कार्यक्रम का शुभारंभ सदभावना भवन करतला में किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में रामपुर विधायक फूलसिंह राठिया रहे,जहां उपस्थित सभी महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिलाने के लिए नारी शक्ति जिंदाबाद के साथ जय घोष भी किया। इस दौरान महिलाओ ने नारी शक्ति का प्रदर्शन किया। करतला में महिला दिवस पर पहली बार हो रहे ऐसे आयोजन को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह नजर आया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी महिलाओं का सम्मान किया। समाजसेवी ने बताया कि विभिन्न सामाजिक संगठन के महिलाओं के साथ मिलकर आत्मबल को बढ़ाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम किया गया, जिसमें काफी संख्या में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। नारी शक्ति का उत्सव महिलाओं के सम्मान के रूप में मनाया जाता है।
आत्मा निर्भर बनने प्रेरित कर रही है महिलाएं
महिलाएं आज पुरुषों के बराबर हैं। किसी काम में महिलाएं पीछे नहीं हैं, जो महिलाएं दबी कुचली है उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और जन जागरूकता लाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। महिला दिवस महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तरक्की दिलाने और उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जो इस युग में आत्मा निर्भर बनने प्रेरित कर रही है।
माता का हमेशा सम्मान हो विधायक फूलसिंह राठिया
मां अर्थात माता के रूप में नारी ,धरती पर अपने सबसे पवित्रम रूप में है ।माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है यह चिंताजनक पहलू है सब धन लिप्सा वह अपने स्वार्थ में डूबता जा रहे हैं परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए जो वर्तमान में काम हो गया है यह सवाल आजकल यक्ष प्रश्न की तरह चाहुंओर पांव पसारता जा रहा है इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
बाजी मार रही है लड़कियां अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डाले तो हम पाते हैं कि यह लड़कियां आजकल बहुत बजी मार रही है। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही है किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है ।उनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
कंधे से कंधा मिलाकर चलती नारी का सारा जीवन पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में ही बीत जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन बीतता है। पिता के घर में भी उसे घर का काम काज करना होता है। तथा साथ ही अपने पढ़ाई भी जारी रखनी होती है ।उसका यह क्रम विवाह तक जारी रहता है। विवाह के बाद नवजीवन में अनेक रिश्तो को संभाल कर रखना पड़ता है। उसे इस दौरान घर के कामकाज के साथ पढ़ाई लिखाई की दोहरी जिम्मेदारी निभानी होती है। नारी इस तरह से भी सम्माननीय है।