हरेली में गेंड़ी की परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए

चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट

हरेली में गेंड़ी की परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए

कोरबा//महादेव महंत की 83 साल आयु फिर भी शौक भरपुर हर साल गेड़ी तैयार करते हैं और पूरे गांव का भ्रमण करते हैं इनके गेड़ी के चरचाहट की आवाज से हरेलीछ त्यौहार का एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है जो सभ्यता धीरे-धीरे अब गांव से विलुप्त होती दिखाई दे रही है लेकिन इस परंपरा को हमेशा से अपने साथ लेकर चल रहे हैं उनकी तैयारी हो पिछले कई दिनों से करते रहते हैं गेडी में अच्छे से आवाज आए इसलिए मिट्टी का तेल चमड़े के रस्सी की व्यवस्था उपयुक्त बास इत्यादि की व्यवस्था करते रहते हैं और ताकि गेड़ी जब वह चढ़े तो अच्छे से उसमें आवाज आए और यह लगातार कई वर्षों से इस चीज की शौकीन है जो एक अद्भुत नजारा का प्रदर्शित करता है यह पूर्व में सीसीएल कर्मचारी रहे हैं और रजगामार मे पदस्थ थे वहां भी गेड़ी चढ़कर लोगों के मन को अपनी और आकर्षित करने लोगों का ध्यान अपनी और कर लेते थे।

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