ब्यूरो रिपोर्ट छ. ग. रायगढ़ से महेंद्र अग्रवाल R9 भारत
शासकीय कर्मचारी का एक और नया कारनामा
मुआवजा देने से किया साफ इन्कार, उल्टा पीड़ित श्रमिक को धमकाया भी…
हुई लिखित शिकायत, क्या होगी कार्यवाही ?
नगर पालिक निगम की निष्क्रियता पर उठे सवाल…
ब्रेकिंग… रायगढ़ | कार्यालय नगर पालिक निगम रायगढ़ के भवन अधिकारी अमरेश लोहिया द्वारा बीते दिनाँक 15 जनवरी 2025 को राजकुमार सिदार को भवन निर्माण के दस्तावेज प्रस्तुत करने के संबंध में नोटिस जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि नगर पालिक निगम क्षेत्रांतर्गत वार्ड नं. 28 किलो विहार कॉलोनी के पास में आपके द्वारा भवन निर्माण कार्य किया जा रहा है | जिसे तत्काल बंद कराकर भूमि स्वामी के दस्तावेज एवं निर्माण हेतु नगर निगम से प्राप्त भवन अनुज्ञा की प्रति 07 दिवस के भीतर इस कार्यालय में प्रस्तुत करें | समय सीमा में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं होने की स्थिति में आपके विरुद्ध नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 293, 307 के अंतर्गत अवैध निर्माण मानते हुए, विधिसम्मत कार्यवाही की जा सकेगी, जिसकी जिम्मेदारी आपकी स्वयं की होगी | अवैध निर्माण हटाने में होने वाला व्यय आपसे वसूल किया जावेगा और उक्त नोटिस राजकुमार सिदार को बीते दिनाँक 16 जनवरी 2025 को जब प्राप्त हो चुकी थी, बावजूद उसके भी राजकुमार सिदार द्वारा वर्तमान तक न तो उक्त भवन निर्माण कार्य को बंद किया गया, और न ही भूमि स्वामी के दस्तावेज एवं निर्माण हेतु नगर निगम से प्राप्त भवन आनुज्ञा की प्रति न तो 07 दिवस के भीतर व न ही वर्तमान दिनाँक तक भी कार्यालय नगर पालिक निगम रायगढ़ में प्रस्तुत की गई | जिसका खामियाजा उक्त भवन में कार्यरत एक श्रमिक को बीते दिनाँक 01 फरवरी 2025 को आखिरकार भुगतना पड़ ही गया, समय रहते हुए कार्यालय नगर पालिक निगम रायगढ़ द्वारा यदि संबंधित पर कार्यवाही कर दी गई होती तो, आज शायद उक्त श्रमिक को उसका खामियाजा भुगतना नहीं पड़ता |
बहरहाल उक्त मामला अभी तक थमा ही नहीं था कि राजकुमार सिदार द्वारा एक और नया कारनामा कर दिया गया, जहाँ उक्त दो मंजिला भवन निर्माण कार्य को जारी रखे जाने से जहाँ पीड़ित कार्यरत श्रमिक (राज मिस्त्री) रामदयाल यादव पिता स्वर्गीय सुंदरलाल यादव उम्र करीब 62 वर्ष निवासी बेलादूला देवलास चौक रायगढ़ (छ.ग.) को अपनी बाँई आँख में छड़ से चोट लग जाने की वजह से आँख के ईलाज हेतु अंततः सहायक श्रमाआयुक्त घनश्याम पाणिग्रही जिला रायगढ़ (छ.ग.) के समक्ष उक्त राजकुमार सिदार के विरुद्ध कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा दिलाये जाने के संबंध में अपनी एक लिखित शिकायत आवेदन दिनाँक 5 फरवरी 2025 को प्रस्तुत की किये जाने हेतु विवश होना पड़ा, और जहाँ पीड़ित श्रमिक रामदयाल यादव द्वारा सहायक श्रमाआयुक्त घनश्याम पाणिग्रही से नम्र निवेदन कर अवगत कराया गया कि प्रार्थी रामदयाल यादव राज मिस्त्री का कार्य कर अपना जीवन यापन करता है इसी तारतम्य में प्रार्थी राजकुमार सिदार जो न्यायालय नजूल अधिकारी रायगढ़ के न्यायालय में सहायक ग्रेड 2 के पद पर कार्यरत है जो एक शासकीय कर्मचारी है जिसके द्वारा किलो विहार कॉलोनी के पास, वार्ड नं. 28 में रायगढ़ में एक दो मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है जिस भवन में मैं राजमिस्त्री का कार्य कर रहा था विगत 01 फरवरी 2025 के सुबह समय करीब 10:00 बजे से 11:00 बजे के बीच उनके भवन में जब मेरे द्वारा कार्य किया जा रहा था, तब मेरी बाई आँख में छड़ के लग जाने की वजह से मुझे मेरी आँख में बहुत दर्द महसूस हुआ और मुझे उस आँख से दिखाई देना भी बंद हो गया था तब मैं संबंधित चिकित्सालयों में अपनी आँख का ईलाज करवाने हेतु गया, तब मुझे संबंधित चिकित्सक के द्वारा मेरी आँख का ऑपरेशन करने की सलाह मुझे दी गई और मुझे कुछ दवाईयाँ भी प्रदान की गई और तकरीबन 65 से 70 हजार रुपये का खर्च आएगा ऑपरेशन में मुझसे कहा गया | जिसके संबंध में मेरे द्वारा अपने मोबाईल नंबर के माध्यम से उक्त राजकुमार सिदार के मोबाईल नंबर में संपर्क किया जाकर उनसे मुझे मेरे आँख के ईलाज हेतु मुआवजे की माँग की गई, तब मुझे राजकुमार सिदार द्वारा मुआवजा देने से इंकार कर दिया गया और मुझे धमकाया भी गया जिससे मैं भयभीत भी हो गया हूँ| अतः श्रीमान जी से मेरा नम्र निवेदन है कि मुझे उक्त राजकुमार सिदार से कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा दिलाने की कृपा करें ताकि मेरी आँख का ईलाज हो सके | पीड़ित श्रमिक रामदयाल यादव द्वारा संबंधित चिकित्सालयों की रिपोर्ट की छाँयाप्रति भी अपने उक्त लिखित शिकायत आवेदन के साथ में सन्लग्न की गई है जिसमें रायगढ़ में स्थित सिद्धेश्वर आँख हॉस्पिटल की बीते दिनाँक 01 फरवरी 2025 की व रायपुर में स्थित एस बी एच आँख हॉस्पिटल प्रा.लि.की बीते दिनाँक 03 फरवरी 2025 की रिपोर्ट है |
अब इस मामले में आगे यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि क्या उस पीड़ित श्रमिक को समय रहते हुए उसकी उक्त बाँई आँख के ईलाज हेतु उसे उक्त मुआवजा मिलेगा ? या फिर उक्त पीड़ित श्रमिक को मुआवजे के बिना ही अपनी उक्त बाँई आँख का ईलाज न करवा पाने की वजह से, कहीं उसे अपनी उक्त बाँई आँख से हमेशा हमेशा के लिए हाथ धोना न पड़ जाऐ ? यानि समय रहते हुए उसे उसकी उस आँख का ईलाज न हो सकने की वजह से, उसकी उस आँख से उसे कहीं हमेशा हमेशा के लिए दिखाई देना बंद न हो जाऐ ? अगर कहीं ऐसा होता भी है तो आखिरकार उसका जिम्मेदार कौन होगा ?