राजाखेड़ा नगरपालिका क्षेत्र में अवैध निर्माण हो रहा बिना स्वीकृती,स्थानीय प्रशासन ने साधी चुप्पी।
महादेव मंदिर की जगह पर अतिक्रमण,क्या प्रशासन कर पाएगा जगह को अतिक्रमण मुक्त
?
राजाखेड़ा।राजाखेड़ा कस्बे में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोकने के लिए नगर पालिका प्रशासन की ओर से तमाम प्रयास किए गए हैं।लेकिन वास्तविकता उसमें कुछ अलग ही है।पालिका अधिकारी कागजों में महज लिफापोती कर खानापूर्ति कर देते हैं।ऐसा ही एक मामला राजाखेड़ा में सामने आया है।जहां एक भवन निर्माण कार्य बिना स्वीकृति के किया जा रहा है।फरियादी द्वारा जिसकी शिकायत की गई जहां पर नगर पालिका द्वारा कर्मचारी को भेज कर बंद कराने को भेजा गया लेकिन कार्य कुछ ही क्षण में पुनः चालू कर लिया गया है।लेकिन तमाम कागजी दावे के बाद निर्माण कार्य जारी है।जो प्रशासन की कार्य व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहा है।प्रकरण में वार्ड वासियों ने बताया कि वार्ड नंबर 21 राजाखेड़ा में अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है।उसके बाद भी बिना भवन निर्माण स्वीकृति के उसमें निर्माण लगातार जारी है।मकान के बगल में महादेव मंदिर की जगह पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है।
पुस्तैनी जमीन दिखाकर फर्जी तरीके से जारी कर लिया गया पट्टा……..राजाखेड़ा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 21 महदवार मोहल्ला राजाखेड़ा की शिकायत की गई थी।जिसमें नगर पालिका अधिशासी अधिकारी के द्वारा जांच कराई गई।आवेदक द्वारा पुश्तैनी जमीन दिखाकर फर्जी तरीके से पट्टा जारी कर लिया गया।जिस पर ना तो डिस्पैच नंबर है और नाही दिनांक अंकित थी।अधिशासी अधिकारी नगर पालिका राजाखेड़ा ने बताया कि पत्र क्रमांक 206 दिनांक 4 मार्च 2024 को उक्त पत्रावली की जांच की गई तो जिसमें पट्टा पुश्तैनी जमीन पर न होकर रजिस्ट्री भूमि पर पाया गया जिसका कुल क्षेत्रफल 112.054 वर्ग गज की उसके पिता के नाम से रजिस्ट्री है। जबकि आवेदक विजयपाल सिंह ने नक्शा 116.74 वर्ग गज का बनाया गया है।आवेदक द्वारा स्वयं अपने ही नक्शे में 04.69 वर्ग गज जगह कहां से आई। वार्ड नंबर 21 वासियो ने बताया की 04.054 वर्गगज महादेव मंदिर की जगह है जब की रजिस्ट्री में 112.054 है
नगर पालिका राजाखेड़ा द्वारा आवेदक विजयपाल सिंह को पट्टा प्रेषक रजिस्टर में जारी नहीं किया गया है ना ही पट्टा पर प्रेषक क्रमांक अंकित है ऐसी स्थिति में पट्टे की पूर्ण पत्रावली निरस्त कर खानापूर्ति कर दी। लेकिन कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई और ना ही बिना अनुमति हो रहे निर्माण को ध्वस्त किया गया।सिद्ध होता है कि फाइलों में दफन होते रहे नगर पालिका के आदेश,बिना निर्माण स्वीकृति के हो रहे।जिससे साफ पता चलता है कि प्रशासन की कार्यशैली तो बिल्कुल निरंकुश हो चुकी है जिससे अतिक्रमणकारी लगातार जमीनों को अतिक्रमित करते जा रहे हैं। जिन पर कार्यवाही के नाम पर महज नोटिस के घोड़े दौड़ा दिए जाते हैं।अवैध निर्माण अर्थात मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण को रोकने में क्या नगर पालिका सक्षम होती है। संवाददाता मनोज राघव राजाखेड़ा