डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट एवं एनपीके उर्वरक बेहतर…

चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट

डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट एवं एनपीके उर्वरक बेहतर…

 

कोरबा//वर्षा प्रारंभ होते ही जिले में कृषि कार्य जोरो पर है। मौसम की अनुकुल परिस्थिति को देखते हुए इस वर्ष अच्छी फसल होने की संभावना है। जिले में किसानों को सहकारी समितियो के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, बीज एवं उर्वरकों का वितरण किया जा रहा है।
उप संचालक कृषि से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के डॅबल लॉक एवं सहकारी समितियों में यूरिया 846, डी.ए.पी. 318, एम.ओ.पी. 64, एस.एस.पी. 449 एवं एन.पी.के. 73 मेट्रिक टन की उपलब्धता है। इसी प्रकार जिले की समितियों मे अब तक कुल 9602 मेट्रिक टन उर्वरक भंडारण कराया जाकर अद्यतन 8183 मेट्रिक टन उर्वरकों का वितरण कृषकों को किया जा चुका है। कृषकों के द्वारा डी.ए.पी के उपयोग को अधिक प्राथमिकता दिया जाता है जबकि इस वर्ष में डी.ए.पी. के सीमित आवक के कारण डी.ए.पी. के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरक यथा सिंगल सुपर फास्फेट, एनपीके 20ः20ः0ः13, 12ः32ः16, लिक्विड एन.पी.के., नैनो डी.ए.पी. का पर्याप्त भंडारण जिले में किया जा रहा है। डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में इन उर्वरकों का उपयोग कर कृषक अधिक उपज प्राप्त कर सकते है। एनपीके 20ः20ः0ः13 अमोनियम फास्फेट सल्फेट उर्वरक में नाइट्रोजन 20 प्रतिशत, फास्फोरस 20 प्रतिशत एवं सल्फर 13 प्रतिशत उपलब्ध होता है। उर्वरक में सल्फर की उपलब्धता होने के कारण फसलों में क्लोरोफिल एवं प्रोट्रीन का निर्मा ण में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती है तथा फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। संतुलित पोषक तत्वों की पूर्ति से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। सिंगल सुपर फॉस्फेट में स्फूर की मात्रा 16 प्रतिशत के साथ-साथ सल्फर 11 प्रतिशत एवं कैल्सियम 21 प्रतिशत होने के कारण मृदा अम्लीयता को सुधार कर फसलों के जड़ का विकास कर पोषक तत्वों के उपलब्धता को बढ़ाती है। धान के पकने की अवधि के आधार पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर अन्य उर्वरकों के साथ संतुलित मात्रा तैयार किया गया है। जिसके उपयोग से फसलों की उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। शासन के दिशा निर्देशानुसार उर्वरक विक्रय हेतु पी.ओ.एस. मशीन की अनिवार्यता एवं निर्धारित दर पर उर्वरकों का विक्रय सुनिश्चित करने हेतु संबंधितो को निर्देशित किया गया है। कृषकों से अपील की गई है कि नत्रजन एवं स्फूर उर्वरकों के साथ-साथ म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग अवश्य करं,े जिससे फसलों में कीड़े बिमारी की समस्या अपेक्षाकृत कम आती है। साथ ही जिंक ईडीटीए एवं बोरॉन का छिड़काव निर्धारित अनुपात में अवश्य करें जिससे फसलों की गुणवत्ता एवं उपज में वृद्धि से किसान भाई अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकते है।

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