खुंटाकुड़ा एवं सुवरलोट में उप-स्वास्थ्य केंद्र की मांग तेज़, सरपंच ने प्रशासन से लगाई गुहार

चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट

खुंटाकुड़ा एवं सुवरलोट में उप-स्वास्थ्य केंद्र की मांग तेज़, सरपंच ने प्रशासन से लगाई गुहार

सुशासन तिहार में गलत तथ्यों के आधार पर खारिज हुआ आवेदन, सरपंच ने की पुनः मूल्यांकन की मांग

कोरबा//करतला स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित ग्राम पंचायत खुंटाकुड़ा एवं सुवरलोट के ग्रामीणों को राहत दिलाने के उद्देश्य से ग्राम सरपंच रामेश्वर राठिया ने जिला प्रशासन से उप-स्वास्थ्य केंद्र खोले जाने की मांग की है। सरपंच द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का घोर अभाव है।
ज्ञापन में बताया गया है कि दोनों ग्रामों की कुल जनसंख्या लगभग 2800 है, जो उप-स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति हेतु निर्धारित मापदंड के समीप है। इसके विपरीत, रीवापार जैसे ग्राम में मात्र 2300 की जनसंख्या होने के बावजूद उप-स्वास्थ्य केंद्र संचालित है।
गलत तथ्यों के आधार पर हुआ आवेदन का निराकरण
सरपंच ने यह भी आरोप लगाया कि सुशासन तिहार में प्रस्तुत आवेदन को प्रशासन द्वारा सही तथ्यों के अभाव में खारिज कर दिया गया। आवेदन निराकरण में बताया गया कि समीपस्थ खुंटाकुडा़ मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि वास्तविकता में चैनपुर स्थित उप-स्वास्थ्य केंद्र 14 से 15 किलोमीटर दूर है।

सूचना न देने पर उठे सवाल

सरपंच रामेश्वर राठिया ने प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आवेदन अस्वीकृति की कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई। चॉइस सेंटर से जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि आवेदन का निराकरण हो चुका है। यह प्रक्रिया ग्रामीणों के साथ न्याय नहीं करती।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहे ग्रामीण

क्षेत्रीय ग्रामीणों को प्राथमिक चिकित्सा के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। गर्भवती महिलाएं, वृद्धजन और बच्चे विशेष रूप से प्रभावित हैं। समय पर इलाज नहीं मिलने से कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।

प्रशासन से पुनः विचार की मांग

सरपंच रामेश्वर राठिया ने मांग की है कि ग्राम पंचायत खुंटाकुड़ा एवं सुवरलोट को मिलाकर नवीन उप-स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति दी जाए ताकि क्षेत्र के सैकड़ों परिवारों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस मांग पर कितनी गंभीरता से विचार करता है और कब तक इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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