जंगल में करंट बिछाकर जंगली सूअर का किया जा रहा शिकार

चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट

 

जंगल में करंट बिछाकर जंगली सूअर का किया जा रहा शिकार

* जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं होने से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त

कोरबा// कोरबा जिलान्तर्गत ग्राम खरहरकूड़ा जंगल, सोहागपुर फीडर क्षेत्र में दो व्यक्तियों को करंट प्रभावित तार बिछाकर जंगली सूअर मारने के आरोप में ग्रामीणों और विद्युत विभाग की टीम ने मौके पर पकड़ लिया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके पर मौजूद विभागीय जेई व उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों को दरकिनार कर कथित आरोपियों को सिर्फ समझाइश देकर छोड़ दिया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया की करंट बिछाकर शिकार करने वाले दोनों कथित आरोपी पास के ग्राम पहाड़गांव और मुकुंदपुर से करीब 4 से 5 किलोमीटर दूर से आए थे। ग्रामीणों ने आगे बताया कि यह लोग लंबे समय से करंट बिछाकर शिकार कर रहा है। इसकी वजह से जानवरों और इंसानों दोनों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। हाल ही में करंट की चपेट में आने से आधा दर्जन से ज्यादा मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी गंभीर अपराध को हल्के में लेकर कथित आरोपियों को पुलिस के हवाले करने के बजाय छोड़कर चले गए।
ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए साफ कहा कि उन्होंने बार-बार मांग करी कि उक्त कथित आरोपियों को पुलिस के हवाले किया जाए ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सके। लेकिन जेई और उनकी टीम ने किसी की एक न सुनी।
इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं जो लागू हो सकती हैं, उसमे धारा 106 अंतर्गत मृत्यु या चोट कारित करने वाली लापरवाही, आरोपियों द्वारा करंट बिछाना और अधिकारियों की अनदेखी से इंसानों व पशुओं की जान को खतरा पहुँचा। इसमें लापरवाह अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकता है। धारा 111 अंतर्गत किसी कार्य द्वारा अन्य की जान को संकट में डालना, करंट प्रभावित तार बिछाना सीधे-साधे ग्रामीणों व पशुओं की जान पर संकट लाना है। धारा 115 अंतर्गत शिकार या अवैध कार्य हेतु खतरनाक साधनों का प्रयोग, बिजली का इस्तेमाल कर शिकार करना खतरनाक अपराध है। धारा 304 अंतर्गत गैरकानूनी शिकार/जानवर को मारने का अपराध, करंट से जंगली सूअर और मवेशियों की मृत्यु होना। धारा 291 अंतर्गत विद्युत का दुरुपयोग कर अपराध करना, बिजली की लाइनों से अवैध करंट प्रवाहित करना और उसका उपयोग अपराध के लिए करना। धारा 351 अंतर्गत सरकारी कर्मचारी द्वारा पद का दुरुपयोग, जेई व कर्मचारियों ने आरोपियों को छोड़कर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की।
धारा 177 अंतर्गत अपराध की सूचना न देने पर दंड, ग्रामीणों की मांग के बावजूद आरोपियों को पुलिस को न सौंपना। ग्राम खरहरकूड़ा जंगल में करंट बिछाकर शिकार करने वाले दोनों कथित आरोपी ही नहीं, बल्कि उन्हें बचाने वाली जेई और विभागीय कर्मचारी भी भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 106, 111, 115, 304, 291, 351 व 177 के तहत समान रूप से दोषी माने जा सकते हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तत्काल कथित आरोपियों के साथ-साथ लापरवाह विद्युत विभागीय अधिकारियों पर भी कार्यवाही नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यह मुद्दा केवल शिकार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे गांव की सुरक्षा और जानमाल के खतरे से जुड़ा है।

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