चुनौतियों से लड़ने काचुनौतियों से लड़ने का महायज्ञ

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एसएमएस में प्रदेश भर के डॉक्टरों ने सीखे ट्रॉमा और बर्न मैनेजमेंट के गुर

जयपुर। सवाई मानसिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज में पिछले तीन दिनों से चल रहे ‘ट्रॉमा स्ट्रेंथनिंग और वूंड बर्न मैनेजमेंट’ पर केंद्रित गहन कार्यशाला का आज सफल समापन हुआ। यह सिर्फ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं, बल्कि एक मिशन था, जिसका उद्देश्य गंभीर हादसों और आगजनी की घटनाओं में कीमती जिंदगियों को बचाने की कला में स्वास्थ्यकर्मियों को और भी निपुण बनाना है।
इस कार्यशाला ने अपने पीछे डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की एक ऐसी फौज छोड़ी है, जो पूरे राजस्थान में मरीजों को नई उम्मीद और बेहतर जीवन देने के लिए नवीनतम तकनीकों से लैस है। इस ज्ञान यज्ञ में किसी एक शहर से नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए लगभग 60 स्वास्थ्य योद्धाओं ने भाग लिया, जिनमें 30 डॉक्टर और 30 नर्सिंग अधिकारी शामिल थे।
कार्यशाला का माहौल किसी किताबी लेक्चर जैसा नहीं, बल्कि एक्शन से भरपूर था, जहाँ थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग पर जोर दिया गया।
कार्यशाला के आयोजक, डॉ. अरविंद शर्मा और डॉ. गौरव जैन ने इसके विजन को साझा करते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि कौशल को तराशना था। ट्रॉमा और बर्न के मामलों में शुरुआती कुछ घंटे निर्णायक होते हैं। हमारा उद्देश्य था कि राजस्थान के कोने-कोने में मौजूद हमारे डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ उन ‘गोल्डन आवर्स’ में नवीनतम और सबसे प्रभावी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर सकें।”
अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि यह कार्यशाला भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत आयोजित की गई, ताकि राजस्थान में ट्रॉमा और बर्न केयर का स्तर देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बराबर हो सके।
कार्यशाला में विभिन्न सत्रों में पेट की चोटें, छाती की चोटें, जलने की चोटें, वृद्धावस्था में होने वाली चोटें और दर्द प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, मांसपेशियों और हड्डियों की चोटों, जलने के घावों के प्रबंधन और तेजी से रेडियोलॉजी पर हाथों-हाथ गतिविधियां आयोजित की गईं।
डॉ. प्रदीप कुमार गुप्ता ने बच्चों की चोटों पर, डॉ. उर्मिला महला ने गर्भावस्था के दौरान ट्रॉमा मैनेजमेंट पर और डॉ. गौरव शर्मा ने दर्द प्रबंधन पर व्याख्यान दिए।
हैंड्स-ऑन टीम में श्री राधे लाल शर्मा, विजेंद्र, राज कुमार, उर्वशी, सीमा और सिन्नू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने इस आयोजन को एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, “ज्ञान जब साझा किया जाता है, तो वह बढ़ता है। इस कार्यशाला ने ठीक यही काम किया है।”
यह कार्यशाला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक वादा है—राजस्थान के हर नागरिक को विश्व स्तरीय और आधुनिक इलाज मुहैया कराने का वादा। यहाँ से प्रशिक्षित होकर अपने-अपने जिलों में लौटे हर डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारी के हाथों में अब वो हुनर है, जो कई जिंदगियों को बचाने और संवारने का काम करेगा।

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