राउरकेला इस्पात कारखाना के मनमानी कार्य, ओड़िआ अस्मिता चूर चूर राउरकेला: राज्य सरकार जहां ओड़िया संस्कृति की बात कर रही है

राउरकेला इस्पात कारखाना के मनमानी कार्य, ओड़िआ अस्मिता चूर चूर राउरकेला: राज्य सरकार जहां ओड़िया संस्कृति की बात कर रही है,

 

 

वहीं आरएसपी ने ओड़िया संस्कृति पर कदम रखते हुए 67 साल पुरानी संस्था आदर्श पाठगार और भंज भवन पर ताला जड़ दिया है। इसलिए इस संदर्भ में आदर्श लिथगरी की ओर से होटल सोलास में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में भांजा सांस्कृतिक फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार दास और पुस्तकालय के सलाहकार चंद्रशेखर सतपथी, सलाहकार बौरीबंधु साहू, पुस्तकालय अध्यक्ष राधाकांत मिश्रा, महासचिव सुकांत चंद्र खुंटिया ने पत्रकारों को बताया कि भाषा, साहित्य और संस्कृति के लिए 1958 में स्थापित आदर्श लिथगरी को 1974 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिस्वनाथ दाश ने 30 वर्षों के लिए 3 एकड़ 19 डिसमिल जमीन मुफ्त में लीज पर दी थी। जिसे 06/01/2004 तक निलंबित कर दिया गया था। इस संस्था ने अपनी सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता के लिए पूरे राज्य में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। यह ओडिशा में साहित्य, अभिनय, कला संस्कृति की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाती रही है। इसमें आरएसपीअधुकारी विभिन्न समयों पर अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। गौरतलब है कि यहाँ भांजा परियोजना का निर्माण राउरकेला इस्पात कारखाने के कर्मचारियों, राउरकेला की सभी ओडिया-प्रेमी जनता, उद्योगपतियों, व्यापारियों और तत्कालीन आरएसपी प्रमुख डॉ. सनक मिश्रा के प्रयासों से पूरा हुआ। इस परियोजना के लिए 1982 में आदर्श पाठगार, भांजा सांस्कृतिक फाउंडेशन के नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया गया और इसके निर्माण की जिम्मेदारी ली गई। आरएसपी 1982 से 2022 तक 40 वर्षों से कार्यरत है। ट्रस्ट के प्रमुख रहे हैं आदर्श पुस्तकालय। पुस्तक मेला, कुमार पूर्णिमा, राज महोत्सव, मासिक साहित्य असार, पना संक्रांति, महाउत्कर्ष जयंती जैसे विभिन्न अवसरों पर छात्रों में विज्ञान के विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। जो ओडिया वासियों के लिए गर्व की बात है। आदर्श पुस्तकालय को दी गई भूमि का उपयोग भांजा सभागार, भांजा सांस्कृतिक प्रतिष्ठान, भांजा कला केंद्र, आदर्श पुस्तकालय और 45,000 पुस्तकों वाला एक विशाल पुस्तकालय तथा आदर्श साहित्य भवन बनाने में किया गया है, जो विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्थाओं को कम लागत पर दिए गए हैं और भाषा व संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। राउरकेला इस्पात कारखाने और ओडिशा सरकार के बीच भूमि पट्टा समझौते पर 1993 में हस्ताक्षर किए गए थे। उस समझौते का 7वाँ भाग मामला अदालत में लंबित था, तब ऐसी चर्चा थी कि आरएसपी अधिकारियों ने भाषा, साहित्य और संस्कृति पर जबरन नियंत्रण कर लिया है। गौरतलब है कि 1982 में भांजा कल्चरल ट्रस्ट के गठन के बाद से राउरकेला स्टील प्लांट के प्रमुख ही 2022 तक इसके अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा राउरकेला स्टील प्लांट के सभी कार्यकारी निदेशक और कुछ महाप्रबंधक भी 2022 तक लगातार इसमें ट्रस्टी रहे हैं। आरएसपी प्रमुख की पसंद के अनुसार स्टील प्लांट के वरिष्ठ अधिकारी आदर्श लेखक के अध्यक्ष और संपादक रहे हैं। इसलिए, करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद वर्तमान कार्यकर्ताओं का बोलना अनुचित और निराधार है। राउरकेला स्टील प्लांट 2011 की स्वीकृति के बाहर जो धनराशि भुगतान करने की मांग की जा रही है, वह 2010 में भेजे गए प्रस्ताव के बिल्कुल विपरीत है। राउरकेला स्टील प्लांट द्वारा दायर वेदखाल मामले के खिलाफ हुए अपील वर्तमान तक माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है, लेकिन आरएसपी अधिकारियों द्वारा इस संस्थान की संपत्ति पर जबरन कब्जा करना कानून के विरुद्ध है। यद्यपि वर्ष 2004 से ही भुगतान की जाने वाली धनराशि पर विवाद चल रहा है, परन्तु न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना ऐसी बलपूर्वक कार्रवाई करना लोकतंत्र के लिए एक गंभीर आघात है।? भले ही विभिन्न संस्थाएँ और गैर-उड़िया व्यक्ति इस्पात शहरी क्षेत्र में कई एकड़ ज़मीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं और व्यापार के माध्यम से पैसा कमा रहे हैं, लेकिन आरएसपी अधिकारियों का उनके प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाना और उदासीन बने रहना बेहद निंदनीय है, जिससे एक प्राचीन साहित्यिक संस्था का अपमान हो रहा है। ओडिशा के जंगलों, ज़मीन, पानी और खदानों का इस्तेमाल करते हुए ओडिशा के मूल निवासियों पर किए गए अमानवीय हमले को शहर के बौद्धिक संगोठनों में निंदा की गई है। इसलिए, आरएसपी का ऐसा अमानवीय कार्यक्रम न केवल आदर्श पुस्तकालय, बल्कि संपूर्ण ओडिशा के मूल निवासियों का क्रूर अपमान और क्रूर मज़ाक माना जाता है। इसलिए राज्य सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया गया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से कुंज बिहारी राउत, प्रदीप पटनायक, विभूति भूषण विशाल, नारायण बेहरा और प्रलय सतपथी सहित अन्य उपस्थित सम्मिलित हो के सभी बातों को साझा किया राउरकेला से सुशील आईंद की रिपोर्ट r9bharat

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