ऑनलाइन संवाद में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दिए मौलिक अधिकारों से जुड़े सभी कानूनी सवालों के जवाब

ऑनलाइन संवाद में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दिए मौलिक अधिकारों से जुड़े सभी कानूनी सवालों के जवाब

नागरिकों से सीधे संवाद कर कहा— अधिकारों की जानकारी ही सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी

जयपुर, 21 सितंबर — माननीय जस्टिस विवेक अग्रवाल जी ने आज आयोजित एक ऑनलाइन इंटरैक्शन में प्रतिभागियों से सीधा संवाद किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) पर विस्तार से चर्चा की और प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सभी कानूनी सवालों के उत्तर दिए।

संवाद की शुरुआत करते हुए जस्टिस अग्रवाल जी ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता नागरिकों की जागरूकता पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार दिए गए हैं, जिनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार और संस्कृति व शिक्षा के अधिकार प्रमुख हैं।

उन्होंने कहा कि अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो उसे न्यायपालिका का सहारा लेना चाहिए। अदालतें ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करती हैं और उन्हें न्याय दिलाने का काम करती हैं।

ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने मौलिक अधिकारों से जुड़े कई व्यावहारिक प्रश्न पूछे। जस्टिस अग्रवाल जी ने हर प्रश्न का स्पष्ट और कानूनी दृष्टि से संतुलित उत्तर दिया। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि मौलिक अधिकार केवल संविधान की किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये नागरिकों को अन्याय के खिलाफ खड़ा होने का अधिकार और ताक़त देते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में अब भी बड़ी संख्या में लोग अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हैं। ऐसे लोगों तक जानकारी पहुँचाना समाज के हर जागरूक नागरिक की ज़िम्मेदारी है।

जस्टिस अग्रवाल जी ने अपने संदेश में कहा—

“अधिकारों की जानकारी होना ही नागरिक सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी है।”

“अगर किसी के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो संविधान ने न्याय का मार्ग खोल रखा है।”

“हमें मिलकर काम करना होगा ताकि कोई भी नागरिक अपने मौलिक अधिकारों से वंचित न रहे।”

यह ऑनलाइन संवाद न केवल प्रेरणादायी रहा बल्कि इससे प्रतिभागियों को अपने अधिकारों की गहरी समझ मिली। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने इस तरह के संवाद को समाज के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!