चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट
फाइव लेयर मॉडल से खेती से कम जमीन में अधिक कमाई
* एक एकड़ में ही फल-फूल, सब्जी-मूंगफली की फसल
* खाद के लिए मुर्गी और बकरी पालन भी
कोरबा// ग्रामो में अधिकांश किसान मध्यवर्गीय होते हैं, जिनके पास ढाई से 3 एकड़ जमीन ही होती है। परिवार में दो भाई हों तो प्रत्येक के हिस्से में जमीन केवल डेढ़ एकड़ रह जाती है। कोरबा जिले में करतला ब्लॉक के नोनदरहा निवासी किसान भागवत राठिया ऐसे किसानों के लिए बड़ी प्रेरणा बनकर सामने आए हैं।
उन्होंने फाइव लेयर मॉडल के जरिए कम जमीन से अधिक मुनाफा लेने की राह दिखाई है। इस पद्धति के तहत एक ही खेत में अलग-अलग ऊंचाई वाली 5-6 फसलें एक साथ उगाई जा सकती हैं।किसान भागवत ने बताया, पहले खेत में धान की फसल ही बोता था और उसके बाद खाली बैठा रहता था। इससे पूरा खर्च भी नहीं निकल पा रहा था। इस बीच, क्षेत्र में जब नाबार्ड के कार्यक्रम चल रहे थे तो वहां मैंने सुना कि पंचस्तरीय कृषि मॉडल से खेती करके सीमित जमीन में भी अधिक फायदा उठा सकते हैं। मैंने आवश्यक जानकारियां जुटाने के बाद यह मॉडल अपनाया और 1 एकड़ जमीन को 5 हिस्सों में बांटकर अलग-अलग फसल लेना शुरू किया। मैंने धान, मूंगफली, सब्जी, गेंदा फूल आदि की फसल लगाई। नारियल, अनार, नींबू, मूंनगा, आम, पपीता के 28 पौधे भी लगाए। नारियल और नींबू के पौधे अभी छोटे हैं लेकिन पपीते में फल लगने शुरू हो गए हैं। मूंगफली की फसल लहलहा रही है। गेंदा फूल की खेती इस क्षेत्र में कम ही होती है इसलिए बाजार में फूलों की मांग हमेशा बनी रहती है।
किसान ने बताया की इस पद्धति से खेती करने पर मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है क्योंकि नाइट्रोजन चक्र के जरिए जैविक खाद से मिट्टी स्वस्थ बनी रहती है। धान के अलावा दूसरी फसल में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती। मिट्टी के कटाव भी नहीं होता। प्राकृतिक खेती करने से लागत भी कम आती है। इस पद्धति में हर सीजन में फसल ले सकते हैं, जिससे सालभर आय का रास्ता खुला रहता है। हर साल फसल बदलने से जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। अभी मूली, भिंडी, बरबटी और भाजी की खेती की है, इसके बाद गोभी की बुवाई करूंगा।
उन्होंने आगे बताया, बाजार से खाद लाना बहुत महंगा पड़ता है। ऐसे में मैंने मुर्गी-बकरी पालन शुरू किया है। इससे खेत पर ही खाद मिल रहा है। क्षेत्र में पंचस्तरीय कृषि मॉडल का प्रयोग गिने-चुने किसान ही कर रहे हैं। हालांकि अब आसपास के इलाके से कई किसान मेरे यहां यह प्रयोग देखने पहुंच रहे हैं।