धौलपुर |
राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य, धौलपुर में 02 से 08 अक्टूबर 2025 तक वन्यजीव सप्ताह धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विषय “मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व (Human-Animal Coexistence)” तय किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय बच्चों, युवाओं, ग्रामीणों और पर्यटकों को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।
अभयारण्य प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में चित्रकला, निबंध लेखन, वाद-विवाद, क्विज़, स्लोगन प्रतियोगिता, जागरूकता रैली, जन संवाद एवं प्रदर्शनी शामिल हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को बताया जाएगा कि वन्यजीव केवल प्रकृति की धरोहर ही नहीं बल्कि पर्यावरण संतुलन और मानवीय जीवन के लिए भी अनिवार्य हैं।
🔹 कानूनी परिप्रेक्ष्य
भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 लागू है। इस अधिनियम के अंतर्गत—
धारा 9 के तहत शिकार पूरी तरह प्रतिबंधित है।
धारा 39 के अनुसार कोई भी वन्यजीव, उसके अंग, खाल, दांत या उत्पाद सरकारी संपत्ति माने जाते हैं।
धारा 50 में वन अधिकारियों को तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ्तारी की विशेष शक्तियाँ दी गई हैं।
अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उल्लंघन करने वालों को 3 से 7 वर्ष तक की कैद और 10,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
विशेष रूप से राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य क्षेत्र में किसी भी गतिविधि के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक है।
अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण केवल कानूनी बाध्यता नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। यदि समाज और कानून साथ मिलकर काम करें तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।
🔹 सामुदायिक भागीदारी
अभयारण्य प्रशासन ने ग्रामीणों, विद्यार्थियों और पर्यटकों से अपील की है कि वे वन्यजीवों को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों से दूर रहें और वन विभाग का सहयोग करें। कार्यक्रमों के दौरान स्थानीय समुदाय को ‘वन्यजीव मित्र’ बनने की शपथ भी दिलाई जाएगी।
वन विभाग के अनुसार यह सप्ताह न केवल वन्यजीव संरक्षण की ओर प्रेरित करेगा बल्कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलित सहअस्तित्व की भावना को भी मज़बूत करेगा।