जिंदल पैंथर जनसुनवाई को निरस्त करवाने धरने पर बैठे ‘आप’ के कार्यकर्ता

Riport By-महेंद्र अग्रवाल

रायगढ़। आम आदमी पार्टी ने कल गलत तरीके से सम्पन्न हुए जिंदल पैंथर सीमेंट प्लांट के जनसुनवाई में शासन-प्रशासन की मिलीभगत होने का आरोप लगाया। प्रभारी सिरिल धृतलहरे सहित सभी कार्यकर्ता वहीं जनसुनवाई स्थल पर ही धरने पर बैठ गये। अपनी बात रखते हुए सिरिल धृतलहरे ने कहा कि प्रभावित गावों में इस जनसुनवाई की सूचना तक ठीक तरह से नहीं दी गई, पहले से प्रायोजित होने के चलते कुछेक ग्रामीण ही यहां पहुंचे, बाकि गांव वालों को दो बसों से पूरी भेज दिया गया था। प्लांट प्रबंधकों द्वारा सुनियोजित ढंग से अपने कर्मचारियों-अधिकारियों को ही इस सुनवाई में बड़ी संख्या में भेजा गया। इसके अलावा प्रभावित गांवों के पंच-सरपंचों को खिला-पिलाकर अपने पक्ष में कर जनसुनवाई सम्पन्न कराया गया। प्लांट के प्रस्तावित विस्तार का विरोध कर रहे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इलाके की दुर्दशा की जानकारी देते हुए बताया कि प्लांट और खदानों के चलते यहां की सड़कें जर्जर हो गई हैं, लोग हादसों में मर रहे हैं और ग्रामीणों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। वहीं समर्थन दे रहे लोग केवल “प्लांट को मेरा समर्थन है” कहकर बैठते रहे, जिससे साफ़ नजर आ रहा था कि वे “लाये गए” लोग थे। रायगढ़ जिले में आए दिन औद्योगिकरण के विस्तार एवं कोयला खनन कोल वाशरी जैसी कंपनियों के नए निर्माण एवं विस्तार की हो रही जनसुनवाइयों से रायगढ़ जिले की जनता अब त्रस्त हो चुकी है, रायगढ़ की जनता और ज्यादा औद्योगिकरण एवं खनन के प्रदूषण की मार झेलने में सक्षम नहीं है।

युवा नेता आलोक स्वर्णकार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कंपनी द्वारा जो ईआईए नोटिफिकेशन बनाया गया है, इसमें परियोजना के प्रभावित क्षेत्र के 10 किलोमीटर क्षेत्र में पढ़ने वाले गांवों का अध्ययन नहीं किया गया है, जिसमें आगनबाडी में पढ़ने वाले बच्चे, प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे, मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे एवं क्षेत्र में पढ़ने वाले बच्चों पर जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का होने वाले दुष्प्रभाव का किसी भी प्रकार का अध्ययन नहीं किया गया है, यह ईआईए नोटिफिकेशन रिपोर्ट पूर्ण रूप से फर्जी है, इसी ईआईए नोटिफिकेशन का राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन पहले जांच करवाएं, इसके बाद जनसुनवाई की प्रक्रिया का विधि सम्मत पालन करें।

जनसुनवाई का विरोध करते हुए सम्पत चौहान ने कहा कि कंपनी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को पूर्व में सीएसआर मत के तहत जो कार्य करने के लिए कहा गया था, आज पर्यंत तक कंपनी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के अपने सीएसआर मद के तहत किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं करवाया गया है, जिस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर आक्रोश है, अगर किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना होती है, जिसकी जिम्मेदारी कंपनी एवं जिला प्रशासन की होगी, इसलिए आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं। जहां पर यह कंपनी स्थापित है, वहां के आसपास के क्षेत्रों जंगल बहुल क्षेत्र हैं, जहां लोगों की आजीविका का मूल कृषि पशुधन वनोपज है, जो कंपनी के स्थापित होने से काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है एवं अगर कंपनी को विस्तार की अनुमति दी जाती है, जिससे आसपास का पर्यावरणीय क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित होगा, जिसका प्रभाव आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा, इसलिए इस जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं। इस जनसुनवाई के विरोध में आम आदमी पार्टी ने एक प्रतिनिधि मंडल की टीम बनायी थी, जिसमें मुख्य रूप से सिरिल धृतलहरे, आलोक स्वर्णकार, सम्पत चौहान, मनीषा गोंड़, बबली चौहान, आरिफ खान, राधेश्याम बघेल सहित दर्जनों की संख्या में कार्यकर्ता थे।

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