पर्वत पुरुष दशरथ मांझी महोत्सव का हुआ आयोजन, ग्रामीण विकास मंत्री ने महोत्सव का किया उद्घाटन

पर्वत पुरुष दशरथ मांझी महोत्सव का हुआ आयोजन, ग्रामीण विकास मंत्री ने महोत्सव का किया उद्घाटन ।

लोकेशन :- गया बिहार 

रिपोर्ट्स:- सुरेश निखर 

 

 

गया जिला के मोहड़ा प्रखंड के गेहलौर गांव में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी महोत्सव का उद्घाटन द्वीप प्रज्वलन कर ग्रामीण विकास मंत्री के कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री सह इम्मामगंज विधायक जीतन राम मांझी, नगर विधायक प्रेम कुमार, सांसद जहानाबाद, अतरी विधायक, अतरी के पूर्व विधायक, जिला परिषद के अध्यक्ष सहित अन्य आगत अतिथियों द्वारा किया गया।

इसके उपरांत जिलाधिकारी द्वारा आगत अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के बेटा को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिनन्दन किया। स्वागत गान नवोदय विद्यालय के छात्राओ द्वारा किया गया।

जिलाधिकारी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज पर्वत पुरुष के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के 16वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित दशरथ मांझी महोत्सव, 2023 में उपस्थित सभी को हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहां कि अपनी दृढ संकल्प कर्मठता एवं अगम्य साहस के बल पर दशरथ मांझी द्वारा किए गए इस अद्भूत कार्य के कारण न सिर्फ गया जिला बल्कि बिहार राज्य तथा भारत देश को गौरवान्वित किया है।

 

इस कार्य के लिए पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के सम्मान में आयोजित इस महोत्सव में सर्वप्रथम गेहलौर की धरती का नमन करता हूँ जिसने ऐसे जीवट पुरुष को जन्म दिया। आपको बता दें कि दशरथ गांझी की पत्नी फाल्गुनी देवी इसी पहाड़ के कारण बुरी तरह घायल हो गई थी। चिकित्सीय ईलाज के लिए गेहलौर से 55 किलोमीटर दूर वजीरगंज में होने के कारण उनकी पत्नी ने दशरथ मांझी के सामने प्राण त्याग दिए। यह दृश्य दशरथ मांझी को पूरी तरह झझोर कर रख दिया। उनकी अंतरात्मा उन्हें कचोट रही थी कि यदि यह पहाड़ बीच में नहीं होता तो वे अपनी पत्नी का उचित ईलाज के लिए आसानी से वजीरंगज चले जाते और उनकी पत्नी आज उनके साथ होती।

वर्ष 1960 में दशरथ मांझी ने इस दुर्गंग पहाड़ को केवल एक छेनी और हथौड़ा के सहारे 22 वर्षों के कठोर परिश्रम, लगन एवं जीवटता के बल पर पहाड़ का सीना चीरकर एक सुगम्य रास्ता बना दिया, जिससे गेहलौर से वजीरंगज की दूरी 55 किलोमीटर से मात्र 15 किलोमीटर हो गया। आज इस मार्ग का लाभ आज हजारों लाखों लोगों को मिल रहा है।

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