बैतूल जिले का सबसे बड़ा उधान नेहरू पार्क में जो मंथ ली 80 हजार रुपए आते है मेंटेनेंस के नाम पर 80 हजार पर काला बाजारी चल रही

बैतूल जिले का सबसे बड़ा उधान नेहरू पार्क में जो मंथ ली 80 हजार रुपए आते है मेंटेनेंस के नाम पर 80 हजार पर काला बाजारी चल रही है

बैतूल का महान नेहरू पार्क में जो मेंटनेस के नाम पर जो चल रहा है उसे शायद ही कहीं ऐसा होता होंगा कचरा जहा का वही पड़ा है ना कोई सफाई पे ध्यान ना किसी को ट्रेन कही सालो से बंद पड़ी है

लोकेशन बैतूल मध्य प्रदेश
R9 भारत राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल
डिस्टिक क्राइम ब्यूरो चीफ
रामेशवर लक्षणे बैतूल

 

लोग आना पसंद नही करते है इतनी गंदगी पड़ी है पार्क में जिसे कोई आता ना जाता है सी एम ओ भी अभी तक कोई ध्यान नही दे पाए जो नेहरू पार्क में के पीछे दुकानें लगाते है उनके दारू की बोतले भी पड़ी रहती है

 

गंदगी में शामिल हुए नेहरू पार्क साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है जिसे लेकर वर्कर लोग भी ध्यान नही दे पा रहे है

नेहरू पार्क में धूल खा रही है पुरातत्व संग्रहालय बेशकीमती, दुर्लभ, बेजोड़ कारीगरी के नमूने, 18 सालों से जड़ा है ताला

बैतूल:- दुर्लभ कारीगरी, बेजोड़ नक्काशी और ऐतिहासिक महत्व की 11 सौ साल पुरानी धरोहर बैतूल में धूल खा रही है। यहां नेहरू पार्क में बनाए गए पुरातत्व संग्रहालय का पिछले 18 सालों से ताला नहीं खुला है। जिसके चलते बेशकीमती विरासत धूल धूसरित हो रही है।

आलम यह है कि बेशकीमती, दुर्लभ, बेजोड़ कारीगरी के नमूने यहां कूड़ेदान में फेंक दिए। 10 से 13वीं सदी की नायब मूर्तियां, महल मंदिरों के अवशेष यहां प्रशासनिक और राजनैतिक उपेक्षा का शिकार होकर तालो में बंद किए हैं।

बैतूल के समृद्ध इतिहास की तस्वीर को रूबरू कराने वाली विरासत के क्या हालात है। इसकी झलक बैतूल के नेहरू पार्क में एक कमरे में बंद इन मूर्तियों से पाई जा सकती है। बरसो से इस कमरे का ताला नही खोला गया जिसके चलते यहां रखे मंदिरों के भग्नावशेष,प्रतिमाएं अब धीरे धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रही है

। आदिवासी बाहुल्य जिला होने के बावजूद एक हजार साल पुरानी प्रतिमाएं, आदिवासी कला संस्कृति के नमूने कभी यहां आने वाले दर्शकों के देखने के लिए उपलब्ध थे। लेकिन बीते 10 से 12 सालो से इसे उपेक्षित कर दिया।

इतिहासकारों के मुताबिक यहा रखी बेशकीमती धरोहर ,प्रतिमाएं या तो चोरी कर ली गयी या उन्हें बेपरवाही से छोड़ दिया गया। जबकि चौकीदार बताते है कि वर्षो से यहां का ताला नही खुला। भवन की छत टूट गयी है। बिल्डिंग मलबे में तब्दील हो रही है।

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