आज अक्षय तृतीया के शुभावसर पर जिले में धूमधाम से मनाई गई भगवान श्री परशुराम जी की जन्म जयंती

आज अक्षय तृतीया के शुभावसर पर जिले में धूमधाम से मनाई गई भगवान श्री परशुराम जी की जन्म जयंती

क्षेत्र में चहुंओर गूंजायमान हुआ भगवान परशुराम जी का उद्घोष

भरतपुर. हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अवसर अक्षय तृतीया को ही भगवान श्री परशुराम जी की जन्म जयंती भी मनाई जाती है, आज शुक्रवार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम जी की जन्म जयंती के अवसर जिले में पर जगह-जगह कलश यात्रा एवं शोभा यात्रा सहित उनके नाम का भजन, कीर्तन और पाठ का आयोजन किया गया।

इसी के अंतर्गत भरतपुर जिले के कस्बा नदबई में तहसील ब्राह्मण समाज के नेतृत्व में भव्य कलश यात्रा सहित अभिषेक व हवन कार्यक्रम का आयोजन कस्बे की नगर रोड स्थित श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला पर आयोजित किया गया,

कार्यक्रम अंतर्गत हवन व अभिषेक से पूर्व क्षेत्र की सैकड़ो महिलाओं द्वारा एक ही रंग की साड़ी व कलश धारण कर कस्बे के मुख्य बाजारों से होते हुए भव्य कलश यात्रा निकाली गई

निकाली गई कलश यात्रा में बैंड बाजे एवं डीजे की गगनभेदी धुन में भगवान श्री परशुराम के उद्घोषों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया

नगर रोड स्थित ब्राह्मण धर्मशाला से प्रारंभ की गई भव्य कलश यात्रा का नगर रोड पानी की टंकी से होते हुए कुम्हेर रोड एवं मेंन मार्केट से होते हुए वापस नगर रोड श्री परशुराम धर्मशाला पर ही समापन किया गया। इस दौरान कस्बे के समस्त सामाजिक एवं व्यापारिक संगठनों द्वारा कलश यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत करते हुए पुष्प वर्षा की गई।

कलश यात्रा के उपरांत धर्मशाला में भगवान श्री परशुराम जी की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करते हुए अभिषेक एवं हवन यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें बडी संख्या में लोगों ने भाग लिया

आपको बताते चलें कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर यानि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था परशुराम जी के जन्म दिवस पर परशुराम जयंती मनाई जाती है साथ ही ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए उनकी शक्तियां अक्षय मानी जाती है. जन्म के समय परशुराम का नाम राम रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद महादेव ने ‘राम’ को परशु नामक शस्त्र दिया जिसे फरसा या कुल्हाड़ी भी कहते हैं. परशु मिलने के बाद से उनका उन्हे परशुराम कहा जाने लगा , अर्थात परशु रखने वाला राम. ऐसी मान्यता है कि धरती पर साधु-संतो और ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया था।।

भरतपुर से हेमंत दुबे की विशेष रिपोर्ट

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