मोदी की गलत नीतियों के कारण चुनाव बहिष्कार की नौबत

कोरबा छत्तीसगढ़ से जिला ब्यूरो चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट
मोदी की गलत नीतियों के कारण चुनाव बहिष्कार की नौबत
0 अन्याय का जवाब अपने मौलिक अधिकार से दें : ज्योत्सना महंत


कोरबा//कोरबा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित ग्राम पाली, पड़निया, सोनपुरी, खैरभवना, जटराज चंद्रनगर, रिस्दी, खोडरी, चुरैल व अमगांव के ग्रामीणों सहित अन्य क्षेत्र में चुनाव बहिष्कार के निर्णय पर कोरबा सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कहा है कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण बहिष्कार की नौबत आ पड़ी है।
सांसद ज्योत्सना महंत ने बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भू-अर्जन की नीति को निरस्त कर दिया था। साथ ही शहरी क्षेत्र में खदान प्रभावितों को मुआवजा राशि दोगुना व ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा, भू-विस्थापितों को अनिवार्य नौकरी, ग्रामसभा के बगैर किसी भी कार्य के स्वीकृत नहीं होने का नियम जारी किया गया। सांसद ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से काबिज मोदी सरकार में पुनर्वास नीति नहीं बनाई जा सकी। कोयला खनन प्रभावित क्षेत्रों में सीएसआर पर अधिकांश राशि डीएमएफ की व अन्य मद से खर्च करना है लेकिन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोयला कंपनी, निजी कंपनी, ठेका कंपनियों के द्वारा भू-विस्थापितों का शोषण किया जा रहा है। खदानों में मैन पॉवर को घटाकर एवं काम से निकाल कर मशीनों से काम लिया जाने लगा है। मेडिकल अनफिट कर्मियों के आश्रित को नौकरी देने का नियम बनाया गया था जिसे भी बंद कर दिया गया है जिससे हजारों आश्रित लोग नौकरी से वंचित हैं। यह साबित करता है कि मोदी सरकार नौकरी देने के पक्ष में नहीं है।
सांसद ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्या को काफी हद तक ठीक करने का काम कांग्रेस शासनकाल में किया गया और मेरे द्वारा भी इसके लिए संसदीय कार्यकाल के दौरान लगातार प्रयास कर कार्य कराया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाकर व इस मामले में पुरस्कार तो एसईसीएल प्रबंधन व कोल इंडिया ले रहे हैं लेकिन भू-विस्थापितों की अनदेखी हो रही है। संासद ने बताया कि उन्होंने संसद में हर समय और बार-बार भू-विस्थापितों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है लेकिन मोदी सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। सांसद ने संबंधित ग्रामवासियों व मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने ऊपर हो रहे अन्याय का जवाब अपने मौलिक अधिकार से दें। प्रत्येक मतदाता को मतदान करने का अमूल्य अधिकार प्राप्त है और इसका सदुपयोग अपने हक की लड़ाई के लिए हर मतदाता को करना ही चाहिए इसलिए 7 अप्रैल को अपने मतदान केंद्र में पहुंचकर लोकतंत्र के त्यौहार में सहभागी बनें व शोषण, अत्याचार, भ्रष्टाचार महंगाई , बेरोजगारी,खिलाफ अधिकार के जरिए मुखर हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!