शक्ति की भक्ति के महापर्व क्वांर शारदीय नवरात्र की अंचल में धूम मची हुई है। देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित कर जवाँरा बोई गई है। जगह-जगह माता रानी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से नौ स्वरूप की पूजा की जा रही है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त माँ का दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
क्षेत्र के ग्राम मढ़ी में श्री ठाकुरदेव दुर्गोत्सव समिति द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की स्थापना की गई है। जो क्षेत्र में आकर्षण का विशेष केन्द्र बना हुआ है। माता रानी की दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे है। जसगीत मंडली द्वारा हर रोज सेवा गीत प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे भक्ति मय माहौल बना हुआ है। शंख, घड़ियाल की धुन के बीच सुबह-शाम माता की महाआरती की जा रही है। तो वहीं आस्था की ज्योति से दुर्गा स्थल जगमग हो रहा है। श्रद्घालुओं के पूजन, दर्शन व परिक्रमा की पुख्ता व्यवस्था समिति द्वारा की गई है। दुर्गा पंडाल को जगमग झालरों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इससे पूरा दुर्गा पंडाल रोशनी से जगमगा रहा है। हालांकि कोरोना के मद्देनजर इस बार भी नवरात्र पर भव्य आयोजन नहीं हो रहा है।
गाइडलाइन का पालन करते हुए बारी-बारी से भक्त माँ के दर्शन कर रहे है। ज्यादा भीड़ न हो इसलिए समिति द्वारा विशेष तैयारी की गई है। दूर से ही भक्त माँ का दर्शन कर पूजन अभिषेक कर रहे है। समिति के सदस्यों ने बताया कि 10 अक्टूबर को पंचमी पूजा में दुर्गा का विशेष श्रृंगार व पूजा किया गया। दुर्गा अष्टमी 13 अक्टूबर को पूर्णाहुति हवन के साथ सम्पन्न होगा। वहीं 14 अक्टूबर को महानवमीं हवन के साथ दुर्गा प्रतिमाओं,ज्योत जवाँरा व ज्योति विसर्जन होगा। नौवीं तिथि में कन्या पूजन के साथ माता को छप्पन भोग भी लगाई जाएगी।
शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि पर स्कंद माता की पूजा हुई। पंचमी को नवरात्र पर्व की मध्य तिथि कहा जाता है। जो बहुत फलदायी होता है। इस दिन देवी का तेज निराला होता है। इसलिए शक्तिपीठों व देवी मंदिरों में भी माता का विशेष श्रृंगार किया गया। पंचमी पर श्रद्घालुओं की आस्था उमड़ पड़ी। माता को श्रृंगार सामग्री भेंट करने श्रद्घालु सुबह से ही दुर्गा पंडाल पहुंचते रहे। माता रानी का श्रृंगार भी पूरी श्रद्घा के साथ किया गया। देवी मंदिरों में सुबह से ही श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। पंचमी पर श्रद्घालुओं ने माता का श्रृंगार चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर, नथ बिंदिया अर्पण कर माता की विशेष पूजा अर्चना की। माता दर्शन के बाद लोग मनोकामना ज्योत को नमन कर सुख-समृद्धि और विश्वकल्याण की कामना की।