ये अस्पताल हैं खुद बीमार, कैसे कर सकेंगे मरीजों का उपचार।

राजाखेड़ा,धौलपुर

ये अस्पताल हैं खुद बीमार, कैसे कर सकेंगे मरीजों का उपचार।

राजाखेड़ा कस्बे में लगभग 50000 हजार की जनसंख्या के लिए एक उपजिला अस्पताल है जिसमें अव्यवस्थायों का अंबार लगा हुआ है।मरीज किसी ना किसी अव्यवस्था से जूझ रहे हैं। अस्पताल की कुछ ऐसी तस्वीरें है जो बयां कर रही है की जिला मुख्यालय का शहीद राघवेंद्र सिंह उप जिला अस्पताल खुद ही बीमार दिखाई देता है।ऐसे में ये बीमारों को क्या इलाज देंगे। अस्पताल में पसरी अव्यवस्थाओं पर खुद ही सवाल खड़ा होता है।लगभग 700 की ओपीडी वाले अस्पताल में सफाई भी ठीक नहीं,मरीजों को पूरी तरह से इलाज भी मुहैया नहीं हो रहा है, शोंचालय की व्यव्स्था तक नहीं है ऐसे में गर्मी के दिनों में पेयजल की सबसे महती आवश्यकता होती है और अस्पताल में उसी की व्यवस्था नहीं हैपेयजल की किल्लत नजर आ रही है।जिससे मरीज और आमजन अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर उधर आसपास की दुकानों और टंकियों पर पानी पीते दिखते हैं।

 

पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं,पानी भी इतना गन्दा की कोई पीना सके……………इतने बड़े उपजिला अस्पताल पर मरीजों और डाक्टरों की पेयजल आपूर्ति के लिए मात्र एक वाटरकुलर है जो एक टंकी से ज्वाइंट है जिसमे गंदा पानी भरा हुआ है।जिस गंदे पानी को पी करके मरीजों को और ज्यादा बीमारी फैलने की आशंका बनी रहती है

बढ़ता गर्मी का प्रकोप, अस्पताल में डाक्टरों की मनमर्जी से आवाजाही…………. एक ओर दिन प्रतिदिन गर्मी अपना रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है दूसरी ओर मरीजों के प्राण रक्षक अस्पताल में मनमर्जी से आते जाते हैं आजकल मौसम के तापमान में इतनी बढ़ोत्तरी हो गई है की आम इंसानों का गर्मी झेल पाना मुश्किल है।जिसके कारण आए दिन महिला,पुरुष, बच्चे,बच्चियां बीमार पड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर मरीजों के प्राणों के रक्षक भगवान कहे जाने वाले डाक्टर लोग जनता से अस्पताल में रूठे हुए नजर आते है।क्योंकि अस्पताल में डाक्टरों के ऊपर कोई प्रभावी रोकटोक ना होने के कारण से जब चाहे मनमर्जी से अस्पताल में आते जाते हैं।और मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल परिसर के एक कमरे से दूसरे कमरे को डाक्टरों को ढूंढने के लिए घूमना पड़ता है।

रिपोर्ट।मनोज राघव के साथ कुश राठौर राजाखेड़ा

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