बैक टू स्कूल” अभियान के अन्तर्गत प्रेरकों का प्रशिक्षण सम्पन्न

 मुज़फ्फरनगर : भारत में गरीबी, गैर बराबरी, सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा को लेकर काम करने वाली संस्था एक्शन एड इंडिया ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के 67 जिलों में ‘बैक टू स्कूल’ अभियान शुरू किया है। जिसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मलित करना है। यह अभियान 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस से शुरू हुआ है और 10 दिसंबर 2021 को सम्पन्न होगा।  

एक्शन ऐड़ इंडिया के जिला समन्वयक क़मर इंतेख़ाब ने बताया कि पांच राज्यों के 300 से अधिक प्रेरक इस अभियान से जुड़े हुए हैं। जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हाशिए पर रहने वाले समुदाय अपने बच्चों को स्कूल प्रबंधन समितियों, स्वयंसेवकों और शिक्षकों की मदद से वापस स्कूल भेजें। यूनिफाइड डिस्टिंक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+)  2019-2020 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 30% छात्र माध्यमिक स्तर  तक पहुँचने से पहले ही ड्राप ऑउट हो जाते हैं। लड़कियां तो उच्च प्राथमिक विद्यालय स्तर पर ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। उन्होंने कहा कि संस्था आने वाले दिनों में बच्चों को प्रोत्साहित और प्रेरित करने के लिए दीवार लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता, प्रभात फेरी, सोशल मीडिया कैम्पेन और हस्ताक्षर अभियान जैसी गतिविधियों के माध्यम से बच्चो को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कराने का प्रयास करेगी। 

एक्शन ऐड़ इंडिया के यूपी एवं उत्तराखंड के निदेशक ख़ालिद चौधरी ने फोन पर बताया कि कोविड़ 19 के दौरान, यह देखा गया कि ऑनलाइन कक्षाएं सफल नही हो सकी है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्टफोन और खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते थे। इस दौरान उत्तर प्रदेश में एक्शन एड के स्वयंसेवक ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 से अधिक मोहल्ला पाठशालाओं को चलाने के लिए आगे आए। कोविड़ 19 के दौरान, खराब आर्थिक स्थितियों के कारण बाल श्रम, बाल तस्करी और स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में काफी वृद्धि देखी गयी, विशेषकर लड़कियों की। इसीलिए आज “बैक टू स्कूल” कैम्पेन की आवश्यकता आन पड़ी है। ताकि बच्चों को दोबारा पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सके।

                             

संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक क्रांति कुमार निगम ने कहा  पिछले दो वर्षों से महामारी ने हमारे युवाओं और बच्चों को अत्यधिक प्रभावित किया है। जो हमारी आबादी का करीब तीन तिहाई है। बच्चों के स्कूल छोड़ने का प्रमुख कारण जो धरातल पर देखने को मिले वह थे, माता-पिता की नौकरी चले जाना, महंगाई  की मार और चिकित्सा खर्च में अधिक व्यय का होना। 

सहारनपुर मंडल प्रभारी प्रोग्राम ऑफीसर फ़राज़ अली ने कहा कि अभी देखने मे आया है कि संगठित और असंगठित मजदूर अपने बच्चों को स्कूलो से निकालकर अलग-अलग जगहों पर चले गए है। इसलिए ऐसे बच्चे अक्सर शिक्षा से वंचित रहते है। इस बीच विकलांग बच्चे अत्यधिक रूप से प्रभावित हुए।

प्रशिक्षण में कोपीन कुमार, गीता, कविता, अंजली, अमरेज़, राखी, शिदा हुसैन, जूली आदि प्रेरक शामिल रहे।

R9भारत तहसील खतौली रिपोर्टर कोमल रानी मुजफ्फरनगर

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