तालाब की हुई खुदाई , सब रह गए भौचक्के

तालाब की हुई खुदाई , सब रह गए भौचक्के , कारण था 1600 साल पुरानी भगवान सूर्य की मूर्ति का मिलना और अब मंदिर का भी होगा निर्माण

बताते है आपको पूरा मामला
बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के सिझौरी गांव में खुदाई के दौरान तीन फीट ऊंची एक अति प्राचीन दुर्लभ मूर्ति मिली. तालाब की खुदाई के दौरान मूर्ति मिलने की खबर गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई और धीरे-धीरे लोग वहां आने लगे. कुछ ही देर में मूर्ति देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई. शुरुआत में ग्रामीणों ने मूर्ति को भगवान विष्णु की मूर्ति मानकर पूजा शुरू कर दी. कुछ लोग इसे देवी लक्ष्मी की मूर्ति भी कहते हुए देखे गए. हालांकि बाद में पुरातत्वविद् डॉ. रविशंकर गुप्ता ने मूर्ति की पहचान भगवान सूर्य के रूप में की.
आपको जानकरी दे दें की डॉ रविशंकर गुप्ता ने प्रतिमा के 1500- 1600 साल प्राचीन पाल काल के प्रारंभिक दौर के होने की संभावना जतायी है. भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा को 8वीं सदी के होने का अनुमान जताया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मुकुट पहने सूर्य की प्रतिमा के दोनों हाथों में कमल के फूल की आकृति है. वहीं प्रतिमा के पैर में जूता है जो सिर्फ सूर्य की प्रतिमा में ही देखने को मिलता है.इतना ही नहीं डॉ रविशंकर गुप्ता ने बताया कि भगवान सूर्य के दोनों ओर सेवक के रूप में दंड और पिंगल की भी प्रतिमा है.

जैसे ही यह मामला सामने आया , पुरे क्षेत्र में आग की तरह बात फ़ैल गयी और तुरंत पुलिस मौके पर पहुंची और पुलिस प्रशासन प्रतिमा की बरामदगी को लेकर आगे बढ़ी तो पदाधिकारियों को ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा.जानकारी के मुताबिक अति दुर्लभ प्रतिमा मिलने की सूचना पर जिलाधिकारी राकेश कुमार के निर्देश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार, अंचलाधिकारी कृष्ण कुमार सौरभ, राजस्व अधिकारी सन्नी कुमार, थानाध्यक्ष चंदन कुमार ने सिझौड़ी गांव पहुंच कर प्रतिमा को अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया. इसके विरोध में ग्रामीण उग्र हो गये. प्रशासनिक पदाधिकारियों के सिझौड़ी पहुंचने के उपरांत ग्रामीणों ने प्रतिमा को छिपा दिया. पदाधिकारी प्रतिमा बरामदगी को लेकर ग्रामीणों को समझाने बुझाने में लगे रहें.
एक ओर जहां प्रशासन दुर्लभ प्रतिमा को बरामद कर संग्रहालय में रखने के लिए प्रयासरत है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण प्रतिमा को गांव में स्थापित करने की जिद पर अड़े हैं. पुलिस प्रशासन समझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन ग्रामीण आस्था से जुड़े इस मामले पर मानने को तैयार नहीं हैं. मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा थी. दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बरकरार था. ग्रामीणों के उग्र तेवर को देखते हुए एसडीओ अभय कुमार तिवारी भी सिझौड़ी गांव पहुंचे. उन्होंने लोगों को समझा-बुझा कर प्रतिमा प्रशासन को सौंप देने की अपील की. एसडीओ ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा सिझौड़ी गांव से बरामद प्रतिमा को दुर्लभ श्रेणी का बताया गया है. प्रतिमा को बरामद कर उसे एएसआई को सौंपा जाना है. हालांकि प्रतिमा सौंपने को लेकर ग्रामीणों के द्वारा देर शाम तक विरोध जताया जा रहा है. जबकि जिला प्रशासन कानूनी प्रक्रिया का पालन कर प्रतिमा की बरामद करने में जुटा है.
इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि तालाब की खुदाई से निकली प्रतिमा बेहद ही दुर्लभ है. प्रशासन का प्रयास है कि प्रतिमा को बरामद कर इसे सुरक्षित संग्रहालय में रखा जाये. हालांकि ग्रामीणों के द्वारा विरोध जताया जा रहा है.

गांव वालो की मांग है प्रतिमा वही स्थापित हो और भव्य मंदिर भी बने ! लेकिन प्रसाशन और जांच इसका भविष्य तय करेगी , यह मामला बिहार ही नहीं पुरे देश में चर्चा की विषय बना हुआ है

और हां अगर आप भी इस तरह प्राचीन मिली मूर्तियों से जुडी कोई जानकारी साझा करना चाहते है तो कमेंट में लिख सकते है

ब्यूरो रिपोर्ट ,R9 भारत

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