बांदा की केन नदी में श्रद्धालुऔ ने स्नान कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया ! भूरा गढ़ किले में सदियों पहले राजा नट बलि की धोखे से मौत कर दी गयी थी उसी को याद कर युवक-युवतिया किले के मंदिर में प्रसाद चढ़ा कर मन्नते मानी ! पुराने लोगो का मानना है की इस मंदिर को “प्यार का मंदिर” भी कहा जाता है ! साथ ही लोगो ने आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की कब्रगाह में पुष्प चढ़ाकर श्रद्धान्जली दी !

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भूरागढ दुर्ग में लगा आशिको का मेला।

बांदा की केन नदी में श्रद्धालुऔ ने स्नान कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया ! भूरा गढ़ किले में सदियों पहले राजा नट बलि की धोखे से मौत कर दी गयी थी उसी को याद कर युवक-युवतिया किले के मंदिर में प्रसाद चढ़ा कर मन्नते मानी ! पुराने लोगो का मानना है की इस मंदिर को “प्यार का मंदिर” भी कहा जाता है ! साथ ही लोगो ने आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की कब्रगाह में पुष्प चढ़ाकर श्रद्धान्जली दी !

– बांदा की केन नदी में श्रद्धालुऔ ने डुबकी लगाकर स्नान किया और वही ब्राह्मणों एवं गरीबो को दान- दक्षिणा और खिचडी वितरित किया ! आपको बताते चले की बांदा की केन नदी स्थित सदियों पुराना भूरा गढ़ का किला है ! ये किला 640 साल पुरानी एक प्रेम कथा व बलिदानों की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है ! आज से 640 साल पहले यहाँ एक राजा रहता था,उसकी एक पुत्री थी , उसका प्रेम एक नाचने गाने वाले नटबलि से हो गया था ! नट बलि ब्रह्मचारी और तपस्वी नट था ! जब इस प्रेम प्रसंग की चर्चा राजा को हुई, तो राजा ने मंत्रियो से सलाह मसबिरा कर नट बलि से शर्त रखी अगर तुम केन नदी से किले तक का सफ़र एक धागे से पैर रखकर तय कर लोगे तो मै तुम्हारी और रानी की शादी कर दूँगा ! नट बलि एक धागे में पैर रखकर नदी से किले का सफ़र नामुमकिन है, पर प्यार के खातिर नट बलि ने ये सरत मान ली ! सर्त पूरी करने का दिन आया नट बलि ने अपनी तपस्या और विद्या से एक धागे को रेसम में परिवर्तित करके केन नदी से किले तक बांध दिया ! वह सफ़र पूरा करने लगा, नट बलि ने आधे से ज्यादा सफ़र रेशम के घागे में पूरा कर लिया, तो मंत्रियो ने राजा से कहा की राजा जी ये नट बलि को सफ़र पूरा करने वाला है , अब इस नाचने वाले से आपको अपनी पुत्री से शादी करनी पड़ जायेगी ! राजा ने तलवार , चाक़ू , भाला सब का प्रयोग किया पर रेशम का धागा ना टूटा ! फिर राजा ने चमरा काटने वाला फलसा से धागा काट दिया , जिससे नट बलि की नीचे गिरने से मौत हो गयी ! तब से आज तक केवल बांदा ही नहीं बल्कि दूर- दूर से युवक – युवतिया यहाँ आती है और अपने जोड़ो की सलामती के लिए मन्नते मानती है ! इसलिए इस मंदिर व किले को प्यार का मंदिर कहा जाता है ! वही दूसरी तरफ स्वतंत्रता सेनानियो व लोगो ने इस किले में बने शहीदों की इमारत में हजारो साल पहले सहीद हुए शहीदों की स्मारक में अगरबत्ती व पुष्प चढ़ाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धान्जली अर्पित की गयी ! वही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो का कहना है की इस किले में 800 लोग शहीद हुए थे !

रिपोर्ट – शिवविलाश शर्मा जिला रिपोर्टर बाँदा

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