पूर्व माध्यमिक शाला पठियापाली में नई शिक्षिका के आने से बदली शिक्षा की तस्वीर

चित्रलेखा श्रीवास की रिपोर्ट

पूर्व माध्यमिक शाला पठियापाली में नई शिक्षिका के आने से बदली शिक्षा की तस्वीर

युक्तियुक्तकरण से गांवों के स्कूलों में मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

 


कोरबा//कोरबा जिले के करतला विकासखंड के छोटे से ग्राम पठियापाली में बनी पूर्व माध्यमिक शाला क्षेत्र के बच्चों के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस स्कूल में आसपास के गाँवों- मौहार, धमनागुड़ी और ठरकपुर के बच्चे अपनी सपनों की नींव रखने आते हैं। पहले इस स्कूल में केवल तीन शिक्षक थे, जो 107 विद्यार्थियों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे। लेकिन, शिक्षकों की कमी के कारण कई बार बच्चों को वह ध्यान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती थी, जिसके वे हकदार थे।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया ने इस स्कूल की तस्वीर बदल दी। इस प्रक्रिया के तहत स्कूल में एक नई शिक्षिका, श्रीमती सविता यदु, की नियुक्ति हुई। अब स्कूल में शिक्षकों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो गई। यह बदलाव केवल एक शिक्षक की नियुक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि यह बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने का एक सुनहरा अवसर साबित हुआ। श्रीमती सविता यदु हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान की कक्षाएं लेती है। उन्होनें स्कूल में आते ही अपनी ऊर्जा और समर्पण से बच्चों के बीच नई उत्साह की लहर पैदा की। उनकी शिक्षण शैली ने बच्चों को न केवल किताबी ज्ञान दिया, बल्कि उनके अंदर सीखने की जिज्ञासा भी जगाई। ठरकपुर गाँव के कक्षा 6वीं के छात्र हिमांशु ने बताया, “मैडम के आने से पढ़ाई में बहुत मजा आने लगा है। पहले हमें कुछ समझ नहीं आता था, लेकिन अब मैडम हमें आसान तरीके से पढ़ाती हैं।” पठियापाली की छात्रा परिधि ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैडम के आने से स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी हो रही है। वे हमें कहानियों और खेलों के जरिए पढ़ाती हैं, जिससे सब कुछ आसानी से समझ आता है।”
श्रीमती सविता यदु की नियुक्ति ने न केवल शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया, बल्कि स्कूल के माहौल को भी जीवंत बना दिया। पहले जहाँ शिक्षकों की कमी के कारण कक्षाओं का संचालन मुश्किल होता था, वहीं अब प्रत्येक कक्षा को पर्याप्त समय और ध्यान मिल रहा है। बच्चों में स्कूल आने की नियमितता बढ़ी है, और उनके अभिभावक भी इस बदलाव से खुश हैं। आसपास के गाँवों के माता-पिता अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अधिक प्रेरित हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उनके बच्चे यहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पठियापाली की यह छोटी सी शाला युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की सफलता की एक जीवंत मिसाल है। श्रीमती सविता यदु जैसे शिक्षकों के समर्पण और शासन के सकारात्मक कदमों ने साबित कर दिया कि सही संसाधन और इच्छाशक्ति हो, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का स्तर ऊँचा उठ सकता है। हिमांशु और परिधि जैसे बच्चों की चमकती आँखें और उनके आत्मविश्वास भरे शब्द इस बात का प्रमाण हैं कि शिक्षा के इस छोटे से दीपक की रोशनी दूर तक फैल रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


error: Content is protected !!