दुनिया के प्रकाशपूंज हैं गांधी : प्रधानाचार्य

दुनिया के प्रकाशपूंज हैं गांधी : प्रधानाचार्य

जिला ब्यूरो अमीर आजाद

मधेपुरा महात्मा गाँधी की शहादत को आज 74 वर्ष हो गए हैं और वे आज वे हमारे बीच सशरीर उपस्थित नहीं हैं।‌ लेकिन उनका प्रेरणादायी विचार हमेशा के लिए अमर है। गांधी आज भी पूरी दुनिया को नई दिशा दिखा रहे हैं। यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने कही। वे महाविद्यालय में गांधी शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने कहा‌ कि गांधी न केवल भारत, वरन् पूरी दुनिया के लिए प्रकाशपुंज हैं। उनके विचार एवं कार्यों से दुनिया को प्रेरणा मिल रही है।

उन्होंने कहा कि गाँधी के विचार आज भी जिंदा हैं। उनके संबंध में आइंस्टाइन ने बिल्कुल सही कहा था कि आने वाली पीढ़याँ बड़ी मुश्किल से यह विश्वास कर सकेंगी कि गाँधी जैसा हाड़ मांस का कोई पुतला इस धरती पर चला था।

मुख्य अतिथि के. पी. कॉलेज मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि एक सिरफिरे ने 30 जनवरी, 1948 को गाँधी के शरीर की हत्या कर दी‌। लेकिन वह गांधी के विचारों को नहीं मार सका‌। आज पूरी दुनिया गांधी के विचारों की ओर आकर्षित है। आज गांधी-विचार की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।

जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि आज गांधी के विचारों को मारने की कोशिश हो रही हैं। गांधी के संबंध में कई भ्रांतियों का प्रचार किया जा रहा है। कोई गांधी को देवता बनाकर मंदिर में कैद करना चाह रहा है, तो कोई उनको दानव बनाकर अप्रासंगिक बनाना चाह रहा है। हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम इन दोनों प्रवृतियों से बचें। गांधी से संबंधित भ्रांतियों को दूर करें। गांधी एक मानव थे, उनको मानव ही रहने दें- ना देवता बनाएं और ना ही दानव।

उन्होंने कहा कि आज एक साजिश के तहत यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि गाँधी के सिद्धांतों पर चलना बहुत ही कठिन है। लेकिन वास्तव में गांधी के सिद्धांत बिल्कुल सहज एवं स्वाभाविक हैं। गांधी को अपनाना कठिन नहीं है, बल्कि यह बिल्कुल आसान है। हम सभी के अंतरात्मा में गांधी मौजूद हैं। हमें उसे जगाने की जरूरत है। गांधी की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है।

एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्ड कुमार ने बताया कि गांधी की शहादत पर तत्कालीन वायसराय लार्ड माउन्टबेटन ने कहा था कि कोई क़ौम इतनी कृतघ्न और ख़ुदग़र्ज़ कैसे हो सकती है जो अपने पितातुल्य मार्गदर्शक की छाती छलनी कर दे। यह तो नृशंस बर्बर नरभक्षी कबीलों में भी नहीं होता है। उस पर निर्लज्जता ये कि इन्हें इस कृत्य का अफसोस तक नहीं है।

कार्यक्रम के अंत में दो मिनट का मौन रखकर राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी गई।‌ साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में युवाओं को गांधी-दर्शन से परिचित कराने के लिए साप्ताहिक कार्यशाला के आयोजन का निर्णय लिया गया।

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, हिमांशु कुमार, प्रकाश कुमार, नीतीश कुमार, अनु कुमारी, रिम्मी कुमारी, मेघा कुमारी, अनु प्रिया, नीतू कुमारी, नंदन कुमार, कौशल कुमार, राजीव कुमार, प्रिंस कुमार आदि उपस्थित थे।

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